माफिया अतीक अहमद की बहन आइशा नूरी ने आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश की सरकार उनके परिवार को निशाना बनाकर मुठभेड़ में हत्या करने, गिरफ्तार करने और उत्पीड़न करने का अभियान चला रही है। बहन ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर दोनों भाइयों की पुलिस कस्टडी में हत्या की जांच के लिए शीर्ष अदालत के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में आयोग गठित करने की मांग की है।
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याचिका में कहा गया है कि सरकार प्रायोजित हत्याओं में अपने भाइयों और भतीजे को खो चुकी है। मामले में किसी स्वतंत्र एजेंसी द्वारा व्यापक जांच कराई जानी चाहिए।
प्रयागराज के सनसनीखेज उमेश पाल हत्याकांड में पुलिस कस्टडी के दौरान अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की 15 अप्रैल को काल्विन अस्पताल के बाहर तीन हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। दोनों को पुलिस वाले काल्विन अस्पताल में मेडिकल के लिए लेकर पहुंचे थे।
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अतीक की बहन ने अपनी याचिका में लिखा है कि याचिकाकर्ता संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत तत्काल रिट याचिका के माध्यम से इस अदालत में गुहार लगाने को बाध्य है कि प्रतिवादियों द्वारा चलाए जा रहे अभियान की व्यापक जांच इस अदालत के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा या किसी स्वतंत्र एजेंसी द्वारा कराई जाए।
याचिका में दावा किया गया है कि याचिकाकर्ता के परिवार के सदस्यों को चुप करने के लिए सरकार उन्हें एक के बाद एक झूठे मामलों में फंसा रही है। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह जरूरी है कि कोई स्वतंत्र एजेंसी जांच करे जो उच्चस्तरीय सरकारी प्रतिनिधियों की भूमिका का आकलन कर सकेगी जिन्होंने याचिकाकर्ता के परिवार को निशाना बनाने के लिए अभियान चलाने की साजिश रची और उसे अंजाम दिया था।
इसमें आरोप लगाया गया है कि प्रतिवादियों-पुलिस अधिकारियों को उत्तर प्रदेश सरकार का पूरा समर्थन प्राप्त है। उसने उन्हें बदले की भावना के तहत याचिकाकर्ता के परिवार के सदस्यों की हत्या करने, उन्हें गिरफ्तार करने और उनका उत्पीड़न करने की पूरी छूट दे रखी है।