Breaking News

आधुनिक भारत के निर्माता बाबा भीमराव अंबेडकर आज भी प्रासंगिक

नई दिल्ली। बाबा साहब डा भीमराव अंबेडकर दलितों के अभिमन्यु संविधान के बास्तुकार और युग निर्माता थे। डा अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में आधुनिक मध्य प्रदेश के मऊ नामक स्थान पर हुआ था। महार परिवार में जन्में डा अंबेडकर के पिता राम सकपाल ब्रिटीश फौज में सुबेदार थे जबकि माता भीमा बाई ईश्वर भक्त गृहिणी थी। एक संत ने भविष्यवाणी करते हुए भीमा बाई को आशीर्वाद देते हुए कहा था कि तुम्हें एक तेजस्वी पुत्र की प्राप्ती होगी।

👉टीएमयू के वीसी प्रो रघुवीर सिंह को हायर एजुकेशन लीडर अवार्ड

भीमा बाई के पुत्र का नाम भीम रखा गया। इनके पिता रामजी सकपाल सेवा निवृत होने के बाद महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में अम्बावडे गाँव में बस गये। इस कारण इनका नाम स्कूल  में भर्ती करवाते समय भीम राव रामजी अम्बावडे लिखा गया। नाम के उच्चारण में परेशानी होने के कारण स्कूल के एक ब्राहम्ण शिक्षक रामचंद्र भागवत अंबेडकर ने अपना उपनाम इन्हें रख दिया। तभी से इनका नाम अंबेडकर पड़ा।

डा अंबेडकर को महार जाति में पैदा होने के कारण स्कूली शिक्षा के दौरान उन्हें कई कटू अनुभव हुए। उन्हें कमरा में पीछे बैठाया जाता था, पानी पीने की अलग ब्यवस्था थी। उस समय समाज में काफी असमानतायें थी जिस कारण डा अंबेडकर का जीवन काफी संर्घषमय एवं सामाजिक विडंबनाओं एवं कुरीतियों से लडते हुए बीता। इनकी प्रारमंभिक शिक्षा दापोली के प्राथमिक विद्यालय में हुई। 6 बर्ष की आयु में इनके माता का निधन हो गया। फलस्वरुप इनका लालन-पालन इनकी बुआ ने की। 1907 में इन्होंने मैट्रीक की परीक्षा पास किया। अपने बिरादरी का मैट्रीक पास करने वाले पहले छात्र थे। फिर इनकी शादी भीकूजी वालगकर की पुत्री रमा से हो गई। उच्च शिक्षा के लिए सतारा से मुम्बई के  एलिफिंसटन कालेज में गये। इस दौरान बड़ौदा महाराज की ओर से उन्हे 25रु  प्रतिमाह वजीफा मिलने लगे। 1912 में बी.ए. की परीक्षा पास करने के बाद  बड़ौदा राज्य की सेवा में वित फिर रक्षा में लेफ्टिनेंट पद पर नियुक्त हुए।

बड़ौदा महाराज ने उच्च शिक्षा के लिए सन 1913 में इन्हें न्यूय़ार्क भेज दिया। उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद स्वदेश आये और भारत में फैले अस्पृश्यता को रोकने के लिए काफी प्रयास किया और संविधान में इसकी ब्यवस्था करवाया। स्वतंत्र भारत के प्रथम कानूनन मंत्री बने। दलितो के उद्दार के साथ साथ  समाजिक भाईचारे को बढावा देने तथा वर्ण ब्यवस्था से ब्याप्त कुरीतियों को खत्म करने के लिए ता-उम्र लड़ते रहे और अंत में बाबा भीम राव अंबेडकर का 6 दिसंबर 1956 को इनका परिनिर्वाण(निधन) हो गया।

रिपोर्ट-लाल बिहारी लाल

About Samar Saleel

Check Also

सीएमएस में दो-दिवसीय इण्टर-स्कूल रोलर स्केटिंग चैम्पियनशिप प्रारम्भ

लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल राजाजीपुरम द्वितीय कैम्पस के तत्वावधान में आयोजित दो-दिवसीय इण्टर-स्कूल रोलर स्केटिंग ...