अगर सोने की गैर-वाणिज्यिक खरीद में 10 प्रतिशत की वृद्धि होती है, तो अगले 18 महीनों में इसकी कीमतें संभावित रूप से 16% तक बढ़कर 3,500 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती हैं। बैंक ऑफ अमेरिका (Bank of America) ने अपनी एक रिसर्च रिपोर्ट में यह दावा किया है। इसके साथ ही बैंक ऑफ अमेरिका ने अपनी रिसर्च रिपोर्ट में यह भी बताया है कि आरबीआई अप्रैल में होने वाली अपनी मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee) की बैठक में एक बार फिर रेपो रेट घटा सकता है।
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रिपोर्ट के अनुसार सोने में निवेश की मामूली वृद्धि भी इस साल सोने की कीमतों पर बड़ा असर डाल सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर निवेश की मांग में सिर्फ 1 प्रतिशत की वृद्धि होती है, तो 2025 में सोना औसतन 3,000 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है, “अगर गैर-वाणिज्यिक खरीद में 10 प्रतिशत की वृद्धि होती है, तो आने वाले 18 महीनों में सोना संभावित रूप से 3,500 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि सोने के भाव 3,500 अमेरिकी डॉलर प्रति औंस तक पहुंचने के लिए, निवेश की मांग में 10 प्रतिशत की वृद्धि की आवश्यकता है, जो चुनौतीपूर्ण है पर असंभव नहीं। रिपोर्ट में कीमतों में वृद्धि के कुछ कारण भी बताए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, सोने की कीमतों में वृद्धि पर असर डालाने वाला एक प्रमुख कारण चीन का बीमा उद्योग है, जो अपनी संपत्ति का 1 प्रतिशत तक सोने में निवेश कर सकता है। यह राशि कुल वार्षिक स्वर्ण बाजार के लगभग 6 प्रतिशत के बराबर होगी।
रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर के केंद्रीय बैंक वर्तमान में अपने भंडार में लगभग 10 प्रतिशत सोना रखते हैं। वे अपने पोर्टफोलियो को अधिक कुशल बनाने के लिए अपने सोने के भंडार को 30 प्रतिशत तक बढ़ा सकते हैं। यदि केंद्रीय बैंक ऐसी रणनीति अपनाते हैं, तो इससे कीमती धातु की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि खुदरा निवेशक भी सोने की मांग को बढ़ाने में भूमिका निभा रहे हैं। भौतिक रूप से समर्थित गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ETF) में प्रबंधन के तहत संपत्ति अमेरिका, यूरोप और एशिया में साल-दर-साल 4 प्रतिशत तक बढ़ी है। इससे पता चलता है कि अधिक व्यक्तिगत निवेशक सोने में अपना निवेश बढ़ा रहे हैं।