बैंक यूनियनों की हड़ताल के कारण आज सरकारी बैंकों की शाखाएं या तो बंद रहीं या उनमें कामकाज नहीं हुआ। यूनियनों ने अपनी मांगों को लेकर एक दिन की इस हड़ताल घोषणा की थी। इसमें यह मांग भी है कि वसूल नहीं हो रहे कर्जों के लिए बड़े अधिकारियों को उत्तरदायी ठहराया जाए। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (यूएफबीयू) की अपील पर इस हड़ताल से विभिन्न बैंकों की शाखाओं में धन के नकद जमा और आहरण तथा चेकों के समाशोधन का काम बुरी तरह प्रभावित बताया गया। यूएफबीयू में नौ यूनियन हैं। जिनमें भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) से संबंधित नेशनल आर्गनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) तथा नेशनल आर्गनाइजेशन आफ बैंक आफीसर्स (एनओबीओ) भी हैं लेकिन बीएमएस से संबद्ध ये दोनों ही संगठन आज की हड़ताल में शामिल नहीं हैं।
आल इंडिया बैंक एम्लाईज एसोसिएशन (एआईबीईए) के महासचिव सीएस वेंकटचलम ने कहा, ‘‘प्रबंधकों और आईबीए (इंडियन बैंक्स एसोसिएशन) की हठधर्मिता और संवेदनहीनता के कारण हमें इस हड़ताल के लिए मजबूर होना पड़ा है। इन लोगों ने नोटबंदी के दौरान बैंक कर्मियों की ओर से अतिरिक्त समय तक दी गयी सेवाओं के लिए अलग से भुगतान किए जाने की हमारी मांग पर बातचीत करना भी उचित नहीं समझा।’
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