केरल व पश्चिम बंगाल की राजनीति दशकों से कम्युनिस्ट व कांग्रेस के बीच सिमटी रही है। पश्चिम बंगाल में एक दशक पहले टीनमूल कांग्रेस ने परिवर्तन का नारा दिया था। वहां के मतदाताओं ने इस पर विश्वास किया।
कांग्रेस व कम्युनिस्ट को हटा कर मतदाताओं ने तृणमूल पर विश्वास किया। लेकिन इन सभी पार्टियों या गठबंधन के मूल चरित्र में कोई अंतर दिखाई नहीं दिया। वोटबैंक की सियासत पर तीनों का एक जैसा विश्वास रहा है। कट्टर पंथियों के उत्पात पर इनकी खामोशी एक जैसी रही है।
दोनों ही प्रदेशों में विकास का कोई माहौल नहीं बनाया गया। इस कारण उद्योगपति यहां निवेश के प्रति कभी उत्सुक नहीं रहे। सत्तारूढ़ पार्टियों का कैडर भी दबंगो की भांति रहा है। पश्चिम बंगाल में कहा जाता है कि कम्युनिस्टों का कैडर ही तृणमूल में आ गया। इस कारण सब कुछ पहले जैसा है। ऐसे में केरल व पश्चिम बंगाल में भाजपा ने प्रभावी विकल्प प्रस्तुत किया है।
भाजपा के विचार से देश अवगत है। इस पार्टी की केंद्र व राज्यों की सरकारें सबका साथ सबका विकास व तुष्टिकरण किसी का नहीं की नीति पर अमल करती है। विकास के अनुकूल माहौल बनाने पर बल दिया जाता है। इस आधार पर भाजपा की केरल व पश्चिम बंगाल में लोकप्रियता बढ रही है। दोनों ही प्रान्तों में भाजपा मुख्य मुकाबले में है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल में पहली चुनावी रैली को संबोधित किया। इसमें जनसमुदाय ने नरेंद्र मोदी के विचारों का उत्साहपूर्ण समर्थन किया। नरेंद्र मोदी ने इसके प्रति केरल के लोगों का आभार व्यक्त किया। कहा कि कई सालों से केरल में राजनीति में यूडीएफ और एलडीएफ के बीच दोस्ताना समझौता रहा है।
अब राज्य के मतदाता पूछ रहे हैं ये कौन सी मैच फिक्सिंग है। पांच साल तक एक लूट और अगले पांच साल दूसरी लूट। केरल में यही चल रहा है। नरेंद्र मोदी ने केरल की महान व प्राचीन संस्कृति का उल्लेख किया। कहा कि भाजपा इस पर गर्व करती है। एलडीएफ और यूडीएफ इसका अपमान करते है।
The fixed match of UDF and LDF is going to be rejected by Kerala. Watch from Palakkad. https://t.co/iFfxm5PY6b
— Narendra Modi (@narendramodi) March 30, 2021
नरेंद्र मोदी ने कहा कि यदि हमारी संस्कृति को गाली दी तो हम चुप नहीं रहेंगे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेंद्रन को केरल सरकार ने गिरफ्तार करवाया। उनके साथ बुरा व्यवहार किया। उन्होंने केरल की परंपराओं के लिए बात की थी। वामपंथी सरकार को यह पसंद नहीं था। यहां संस्कृति का सम्मान करने वालों का उत्पीड़न होता है।
यूडीएफ वस्तुतः एलडीएफ के नाम अलग है। लेकिन काम एक जैसे है। दोनों के कार्यकाल में जनता के पैसों की लूट होती रही। कहा कि यूडीएफ ने तो सूर्य की रोशनी तक को नहीं छोड़ा। नरेंद्र मोदी ने दावा किया कि केरल की राजनीति में पिछले कुछ सालों से एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। यह मतदाताओं की आकांक्षाओं के अनुरूप है। पहली बार मतदान करने वाले युवा एलडीएफ और यूडीएफ दोनों से दुखी हैं। केरल के लिए भाजपा की दृष्टि युवाओं के भविष्य और उनकी आकांक्षाओं को लेकर है, यही मुख्य वजह है।