समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि हवाई पुल बांधने में भाजपा का कोई जवाब नहीं है। किसान, नौजवान सब परेशान हैं। सरकार के चार वर्ष होने को हैं लेकिन अभी तक जनता को कोई अपेक्षित परिणाम हासिल नहीं हो सका है। फिर भी दुस्साहस तो देखिए कि वे अपनी खोखली उपलब्धियों का ढिंढोरा पीटते जाते हैं। ढिंढोरची सरकार इसे ही कहते हैं।
मुख्यमंत्री जी की मानें तो प्रदेश में रोजगार जगह-जगह बिखरा हुआ है। रेत से तेल निकालने की कहावत पूरी तरह चरितार्थ हो रही है। जब लाकडाउन के हालात थे, रोजगार बंदिशों का शिकार था, फैक्ट्रियों में छंटनी हो रही थी और लोग अपनी जान बचाने को सिर पर गठरी लादे, मासूम बच्चों और गर्भवती महिलाओं के साथ पैदल रिक्शा, ठेलिया, साइकिल या किसी भी साधन से लोग पलायन कर रहे थे तब भी आपदा में अवसर का खूब बहाना चला। अभी हालात पूरी तरह ठीक नहीं हुए तब भी 1.9 करोड़ रोजगार के सृजन के हवाहवाई दावे किए जा रहे हैं। लोकतंत्र में निर्लज्जता की यह पराकाष्ठा है।
खुद सरकार के आंकड़ों पर ही विश्वास किया जाए तो शैक्षिक संस्थाओं, मेडिकल संस्थानों और सरकारी विभागों में लाखों पद रिक्त हैं। नौकरियों में भर्ती पर विवाद थमते नहीं। परीक्षाएं शुरू होने से पहले पेपर लीक हो जाते है और परीक्षाओं के बाद आदालतों में मामले चले जाते हैं। गरीबों, किसानों के बेटे भुखमरी के शिकार हो रहे हैं। पढ़े लिखे नौजवानों के लिए नो वैकेंसी के सूचना पट्ट लग जाते हैं। भाजपा सरकार जनता को और खासकर नौजवानों को ठगने के लिए बड़े-बड़े विज्ञापनों पर सत्ता का धन खर्च कर अपनी नाकामयाबियां छुपाने का काम कर रही है, कौन सी फैक्ट्री या उद्योग लगाया, कहां विकास हुआ। जिससे रोजगार मिलने लगा है।
सरकारी तौर पर निवेशकों के लिए सहूलियतों का पिटारा खोल दिया गया है लेकिन यह पिटारा खाली का खाली ही दिखता है। निवेशक सम्मेलनों पर खूब खर्च हुआ, अतिथि सत्कार भव्य ढंग से हुआ लेकिन जो एमओयू हुए उनको धरती पर उतरते लोगों ने नहीं देखा। उत्तर प्रदेश में फिल्मसिटी भी स्वयं मनोरंजन की वस्तु बन गई है।भाजपा सरकार की कलाकारी का परिणाम राज्य की जनता भुगत रही है। किन्तु उसके सब्र का बांध टूट रहा है। जनता को सिर्फ सन 2022 का इंतजार है जब वह भाजपा नेताओं से उनके वादों का हिसाब लेगी। नौजवान तब अपने गुस्से का इज़हार साइकिल वाला बटन दबाकर करेंगे।