समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा मुखिया विहीन सरकार चलाने का अभूतपूर्व प्रयोग कर रही है। राज्य सरकार में तीन शख्सियतें हैं जो कोई किसी से कम नहीं। कई हैं जो अपनी चलाते हैं किसी को प्रमुख नहीं मानते हैं। उनके तार दिल्ली से जुड़े हैं उन पर किसी का दबाव नहीं। इसी तरह प्रशासन के सर्वोच्च पद मुख्य सचिव पद पर भी कार्यवाहक से काम चलाया जा रहा है। एसीपी पद पर अभी तक नियुक्ति नहीं हो सकी। बची खुची कसर में अब डीजीपी पद पर भी किसी मुखिया की जगह कार्यवाहक को कमान सौंप दी गई है। बिना मुखिया की सार्थक भूमिका के तीन वर्ष से प्रदेश में भाजपा सरकार का चलना लोकतांत्रिक प्रणाली पर प्रश्नचिह्न है।
भाजपा सरकार के इसी अनिर्णय के चलते प्रदेश में शासन-प्रशासन की साख नहीं बची है। प्रशासन तंत्र पूरी तरह पंगु हो गया है। तमाम परियोजनाएं पिछड़ती जा रही हैं। कानून व्यवस्था के हालात तो अत्यंत दयनीय हैं। सरकार दावा करती है कि दो वर्ष में उसने 103 अपराधियों को मार गिराया है। ऐसे में सवाल उठेगा कि फिर अपराध क्यों थम नहीं रहे है? वैसे तो मुख्यमंत्री जी ने गद्दी सम्हालते ही कहा था उपराधी अब जेल में होंगे या फिर प्रदेश छोड़ जाएंगे। अपराधी प्रदेश छोड़ कर तो गए नहीं जो जेल में हैं। वे वहीं से अपना धंधा बेखौफ चला रहे हैं।
आश्चर्य होता है कि जो मंत्री तमाम दावों के बाद भी सड़कों के गड्ढे भरने में पूरी तरह नाकामयाब साबित हुए वे गंगा सफाई का दावा करने लगे है। गंगा यात्रा में भीड़ जुटाने और भव्य बनाने में तो धन पानी की तरह बहाया गया है लेकिन गंगा किनारे बसे केवटों, गोता खोरों के हितार्थ एक शब्द नहीं बोला जा रहा है। दबंगों ने कश्यप समाज की गंगा किनारे की जमींने हथिया ली। उन्हें फसल उगाने नहीं दिया जा रहा है, भाजपा सरकार को उनकी चिंता नहीं।
17 अति पिछड़ी जातियों में मल्लाह, केवट, कश्यप, बिन्द, निषाद, आदि को अनुसूचित जाति में रखने की कोशिश समाजवादी सरकार ने की थी, भाजपा की वजह से उन गरीबों को राहत नहीं मिल पाई। दिखावे के लिए गौशालाओं में जाकर गायों को गुड़ चना खिलाने वालों के पास इसका क्या जवाब है कि सरकारी गौशालाओं में गाएं कैसे दम तोड़ रही है? सच तो यह है कि भाजपा सिर्फ झूठ की खेती करती है। गौमाता और गंगा मइया दोनों भाजपा के कारण संकट में है। नमामि गंगे में धन तो बह रहा है पर गंगा की धारा अविरल और निर्मल नहीं हो पा रही है। गाएं अभी भी कूड़े के ढेर से प्लास्टिक की थैलियां बेरोकटोक खा रही हैं।
वस्तुतः भाजपा को न तो प्रदेश के विकास की चिंता है और नहीं गरीबों, पिछड़ों, कमजोर लोगों को राहत पहुंचाने की। उसे तो नफरत फैलाने की गम्भीर बीमारी है। जनता जब सन् 2022 में इस बीमारी का इलाज करेगी तभी प्रदेशवासियों के अच्छे दिन दिन आएंगे।