भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दक्षिण में अपने एक मात्र दुर्ग कर्नाटक को बरकरार रखने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है, लेकिन टिकटों को लेकर बने हालात ने चिंता भी बढ़ा दी है। भाजपा का अधिकांश दारोमदार पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा पर टिका है।
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अब उनको भी कई क्षेत्रों में विरोध का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में सत्ता विरोधी माहौल की काट के लिए टिकटों का काटने व नए चेहरों को लाने की भाजपा नेतृत्व की कवायद पर गहरा असर पड़ सकता है।
कर्नाटक के लिए इस महीने के आखिर में चुनावों की घोषणा होने की संभावना है। हालांकि, राजनीतिक गतिविधियां पहले से ही जोर पकड़े हुए हैं और अब टिकट तय करने का सबसे अहम मामला सामने है। येदियुरप्पा कह चुके हैं कि अधिकांश विधायकों को फिर से टिकट मिलेगा। इसके बाद कई जगह नेताओं को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। हाल में एक मौजूदा विधायक को हटाने के लिए दबाब बनाए जाने पर कार्यकर्ताओं के विरोध के चलते येदियुरप्पा को अपना कार्यक्रम रद्द भी करना पड़ा।
येदियुरप्पा को पार्टी ने चुनाव अभियान में आगे रखा है लेकिन कई मामलों में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को आगे रखा जाएगा। खासकर उम्मीदवार बदलने जैसे मुद्दों पर पार्टी येदियुरप्पा के बजाय बोम्मई को आगे रख सकती है, ताकि उम्मीदवारों को लेकर विवाद से उन्हें दूर रखा जा सके। वैसे भी केंद्रीय नेतृत्व व येदियुरप्पा दोनों का भरोसा बोम्मई के साथ है। चुनाव प्रबंधन की दृष्टि से भाजपा की केंद्रीय टीमें भी राज्य में अगले सप्ताह से मोर्चा संभाल लेंगी और रणनीतिक तैयारियों में जुटेगी। इनमें अन्य राज्यों के रणनीतिकार भी शामिल रहेंगे।
सूत्रों के अनुसार केंद्रीय नेतृत्व उम्मीदवारों के चयन को लेकर काफी गंभीर है। खासकर उन सीटों पर जहां दूसरे दलों से आए नेता विधायक बने हैं। इनमें कुछ को लेकर रिपोर्ट अच्छी नहीं है, लेकिन राजनीतिक व सामाजिक समीकरणों की मजबूरी भी है। चेहरे बदलने व न बदलने दोनों ही स्थितियों में चुनावी रणनीति पर असर पड़ सकता है। ऐसे में पार्टी फिलहाल ज्यादा टिकट काटने की स्थिति में नहीं दिख रही है।