लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार के झूठे वादों से किसान त्रस्त है, कई जनपद बाढ़ग्रस्त हैं, लोग तटबंधों पर या छतों पर दिन गुजार रहे हैं। पशुओं की जिन्दगी भी संकट में हैं। कई जगह नदियों का उफान खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। सड़के, पुल क्षतिग्रस्त हैं। किन्तु भाजपा सरकार को प्राकृतिक आपदा से किसानों को हुए नुकसान का मुआवजा देने का समय नहीं है। भाजपा सरकार राज्य की परेशान हाल जनता की खोज खब़र नहीं ले रही है। 2022 में किसानों की आमदनी दोगुनी करना भाजपा का सबसे बड़ा झांसा है।
उन्होंने के कहा, प्राप्त सूचनाओं के अनुसार बाराबंकी, अयोध्या, कुशीनगर, गोरखपुर, बहराइच, लखीमपुर खीरी, आजमगढ़, मऊ, बस्ती, गोंडा, संतकबीरनगर, सीतापुर, सिद्धार्थनगर और बलरामपुर में बाढ़ से हजारों गांवों की लाखों जनसंख्या प्रभावित हैं। सैकड़ों गांवों का सम्पर्क बाकी इलाकों से टूट गया है। हजारों हेक्टेयर क्षेत्र में फसलें जलमग्न हो गई हैं। लखीमपुर खीरी के पलिया कला में शारदा, बलिया के तूतीपार क्षेत्र में सरयू, गोरखपुर के बर्डघाट एवं श्रावस्ती के राप्ती बैराज में राप्ती नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। नेपाल व बांधों से पानी छोड़े जाने के बाद गंगा, घाघरा नदियां उफान पर है। इनके तटबंधों को खतरा उत्पन्न हो गया है। बाढ़ की भयावह स्थिति और तटबंध टूटने की आशंका से ग्रामीणों में दहशत है। रोहिनी नदी, कुवानों, गंडक, कुनहरा नदियां भी खतरे के निशान के नजदीक बह रही है।
बाढ़ की वजह से हजारों मकान क्षतिग्रस्त हो गए हैं। बड़ी संख्या में लोग अपने बचाव में पास की सड़कों पर या अपने मकानों की छतों पर शरण लिए हुए हैं। पशुओं के चारे के साथ उनको बचाने की भी समस्या हैं। स्थानीय प्रशासन उन्हें राहत पहुंचाने में लापरवाह है। बाराबंकी में सरयू खतरे के निशान से 108 से.मी. ऊपर पहुंच गई है जिससे तीन तहसीलों रामनगर, सिरौली गौसपुर और रामसेनही घाट में हाहाकार मचा हुआ है। मवेशी भूखे हैं उनके लिए चारा नहीं है। सीतापुर में दो बच्चे बाढ़ के पानी में डूब गए।
झांसी मण्डल में किसानों को गेहूं की उपज का करोड़ों रूपये बकाया है। बदायूं सहित कई जनपदों में किसानों को यूरिया नहीं मिल रहा है। बुन्देलखण्ड में खेती चैपट हो रही है, सरकार का उधर ध्यान नहीं है। गन्ना किसानों का 15 हजार करोड़ रूपये का भुगतान अभी भी नहीं हो पाया है। मिल मालिकों पर सरकार का कोई जोर नहीं है। वैसे भी भाजपा किसानों के हितों की अनदेखी करती रही है। वह तो बस कारपोरेट घरानों से ही खास नाता रिश्ता रखती है। भाजपा ने किसानों के साथ धोखाधड़ी की है। भाजपा को इसका जवाब भी 2022 में मिल जायेगा।