लखनऊ। प्रदेश सरकार एक अप्रैल से वेक्टर जनित रोगों के नियंत्रण के लिए वृहद् अभियान चलाने जा रही है। इस दौरान ग्राम पंचायत स्तर पर मरीजों को चिन्हित कर ब्लॉक स्तर पर ही इलाज सुनिश्चित किया जाएगा। इसके लिए ब्लॉक स्तर पर सर्विलांस टीम गठित कर दी गई है। यह कहना है निदेशक वीबीडी डॉ एके सिंह का।
डॉ सिंह शुक्रवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित वेक्टर बॉर्न डिजीज (वीबीडी) कॉन्क्लेव को संबोधित कर रहे थे। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा विभाग का यह कॉन्क्लेव पाथ और सेंटर फॉर हेल्थ रिसर्च एंड इनोवेशन (सीएचआरआई), गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट लिमिटेड (जीसीपीएल) के सहयोग से आयोजित हुआ। कॉन्क्लेव में मलेरिया, फाइलेरिया और कालाज़ार को तय समय में उन्मूलन करने के लिए अन्तर्विभागीय रणनीति पर गहन विचार-विमर्श हुआ। इसके साथ ही भविष्य की योजना तैयार की गई।
संचारी रोग के निदेशक ने बताया कि भारत सरकार ने साल 2025 तक फाइलेरिया और साल 2023 के अंत तक कालाजार खत्म करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसी को ध्यान में रखते हुए वित्तीय वर्ष 2022-23 में वेक्टर जनित रोगों की जांचें दोगुनी कर दी गई हैं जबकि अभी तक प्रदेश में हर वर्ष अमूमन 40 लाख जांचें हुआ करती थीं वहीं अगले वर्ष यानि वित्तीय वर्ष 2023-24 में हम यही जांचें 1.5 करोड़ करने जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि डेंगू के जहां वर्ष 2021 में 29750 मामले सामने आए थे वहीं वर्ष 2022 में 19821 केस चिन्हित किए गए हैं।
डॉ विकास सिंघल, संयुक्त निदेशक, वीबीडी ने बताया कि प्रदेश में एक से 30 अप्रैल तक विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलेगा। इस दौरान प्रदेशवासियों को वेक्टर जनित रोगों, जल जनित रोगों व लू आदि से बचाव व उपचार के बारे में जागरूक किया जाएगा। इसी बीच 17 से 30 अप्रैल तक दस्तक अभियान भी संचालित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अलावा संबंधित विभागों के सहयोग से दस्तक अभियान के तहत संचारी रोग के मरीजों की चिन्हित कर उपचार के लिए सहयोगात्मक कार्य करने की ज़िम्मेदारी दी गई है। साथ ही ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में सफाई के साथ लारवारोधी गतिविधियां और फागिंग भी कराई जाएगी।
इस अभियान के तहत घर-घर सर्वे कर फ्लू, खांसी, बुखार के रोगियों व कुपोषित बच्चों की जांच की जाएगी। अभियान के दौरान आशा संगिनी, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रमुख भूमिका में घर-घर जाकर अभियान सफल बनाएंगी। उन्होंने बताया कि 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस पर सभी जिलों में मलेरिया निगरानी में सुधार और वार्षिक रक्त परीक्षण दर 10 से ज्यादा पहुंचाने का लक्ष्य है। इसके अलावा कालाज़ार से प्रभावित गांवों में शत-प्रतिशत आवासों को पक्का और बालू मक्खी प्रतिरोधी बनाया जाएगा। फाइलेरिया से प्रभावित गांवों में माइक्रोफाइलेरिया की दर शून्य के तय लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक परीक्षण किया जाएगा। हाथी पांव या लिम्फ़ोडिमा के रोगियों को स्व-देखभाल के लिए एमएमडीपी किट वितरित की जाएगी और हाइड्रोसील के शत-प्रतिशल रोगियों की सर्जरी सुनिश्चित की जाएगी।
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कॉन्क्लेव में सहयोगी संस्था- विश्व स्वाथ्य संगठन, पाथ, पीसीआई, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटेजिस और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च के प्रतिनिधियों ने वेक्टर-जनित रोगों के नियंत्रण में संस्थाओं की भूमिका के बारे में बताया। इस मौके पर फाइलेरिया नेटवर्क के सदस्यों सीमा सिंह और गंगा प्रसाद ने फाइलेरिया रोग के बारे अपना अनुभव साझा किया।
कार्यक्रम में चिकित्सा एवं स्वस्थ्य सेवा के वरिष्ठ अधिकारी, विभिन्न वीभागों के राज्य स्तरीय अधिकारी, समस्त मंडलीय सर्विलांस अधिकारी एवं जिला सर्विलांस अधिकारी, समस्त जनस्वास्थ्य विशेषज्ञ, मंडलीय कीट विज्ञानी समेत आईहैट (यूपीटीएसयू), बिल एंड मिलेंडा गेट्स फाउंडेशन, विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ, गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट लिमिटेड, पीसीआई, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटेजीज, एफएचआई 360, चाई, झपाईगो, जेएचयू और सेंटर फॉर एड्वोकेसी एंड रिसर्च संस्था के प्रतिनिधि मौजूद रहे।