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सातवीं वर्षगांठ पर चुनौती व सम्बल

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने सात वर्ष पूरे किए। देश कोरोना महामारी व अनेक तूफानों की आपदा ना होती,तो यह जश्न का अवसर हो सकता था। कोरोना के अलावा अनेक प्रदेशों को दो बड़े चक्रवात ताउते और पूर्वी तट पर चक्रवात यास का सामना करना पड़ा। देश और देश की जनता इनसे पूरी ताकत से लड़ी और कम से कम जनहानि सुनिश्चित की।

सात वर्षों के अनेक ऐतिहासिक उपलब्धियां है। जिन समस्याओं का नाम लेना भी दुश्वार था,उनका समाधान हो गया। नागरिकता संशोधन कानून व तीन कृषि कानूनों के विरोध अराजकता को हवा दी गई। बिडंबना देखिए सातवीं वर्षगांठ के पहले ही इन कानूनों के लाभ दिखाई देने लगे है। किंतु मन की बात में नरेंद्र मोदी देश में चल रही आपदा से व्यथित उदास थे। उन्होंने इस आपदा में जान गंवाने वालों के प्रति संवेदना व्यक्त की।

आपदा प्रबंधन का प्राथमिकता से उल्लेख किया। कहा कि सौ वर्षों में पहली बार ऐसी आपदा आई है। सभी लोग इससे अनजान थे। सबके सहयोग से इसका मुकाबला किया गया। दूसरी लहर में ऑक्सीजन की मांग बहुत बढ़ गई थी। इसकी आपूर्ति बढ़ाने के हर संभव प्रयास किये गए। कोरोना की शुरुआत में भारत में मात्र एक टेस्टिंग लैब थी लेकिन आज ढाई हजार से ज्यादा टेस्टिंग लैब काम कर रही हैं। शुरुआत में कुछ सौ टेस्ट होते थे। लेकिन अब बीस लाख टेस्ट एक साथ होते हैं। अबतक देश में तैतीस करोड़ से ज्यादा लोगों का टेस्ट हो चुका है।

यह भी सन्योग है कि आपदा के इस दौर में उत्पीड़ित लोगों को भारतीय नागरिकता मिलने का मार्ग प्रशस्त हुआ। इसके विरोध में जम कर हंगामा हुआ था। हंगामे के समर्थन करने वाले दलों व इसे लागू ना करने वाली राज्य सरकारों को शर्मिंदा होना चाहिए। केंद्र सरकार ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश उत्पीड़ित हिन्दू, बौद्ध, सिख और शरणार्थियों से भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। ये शरणार्थी गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, हरियाणा तथा पंजाब के तेरह जिलों में हैं।

गृह मंत्रालय ने इस बारे में अधिसूचना जारी की है। सीएए के कारण ही उनके भारतीय नागरिक बनने का रास्ता साफ हो रहा है। ऐसे ही तीन कृषि कानूनों पर छह महीने से दिल्ली सीमा पर हंगामा चल रहा है। जबकि कृषि कानूनों का लाभ भी मिलना शुरू हो गया है। पांच शताब्दियों के बाद जन्मभूमि पर राम मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ। अस्थाई अनुच्छेद 370 को हटा कर जम्मू कश्मीर को मुख्य राष्ट्रीय धारा में शामिल किया गया। तीन तलाक की कुप्रथा पर रोक लगी। इससे मुस्लिम महिलाओं को सम्मान मिला। यह सब कार्य नरेंद्र मोदी ही कर सकते थे। अन्य किसी पार्टी में इन पर विचार करने का भी साहस नहीं था। इसके अलावा भी अनेक उल्लेखनीय उपलब्धियां रही है। आजादी के बाद सात दशकों में देश के केवल साढ़े तीन करोड़ ग्रामीण घरों में ही पानी के कनेक्शन थे। लेकिन पिछले पिछले महीनों में ही साढ़े चार करोड़ घरों को साफ पानी कनेक्शन दिए गए हैं। दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना आयुष्मान लागू की गई।

इसके दायरे में पचास करोड़ लोग है। सात सालों में भारत ने डिजिटल लेनदेन में दुनिया को नई दिशा दिखाने का काम किया है। रिकॉर्ड सैटेलाइट प्रक्षेपित किये जा रहे हैं। रिकॉर्ड सड़कें बनाई जा हैं। दशकों से लंबित अनेक योजनाएं पूरी की गई। अनेक पुराने विवाद भी पूरी शांति और सौहार्द से सुलझाए गए हैं। पूर्वोत्तर से लेकर कश्मीर तक शांति और विकास का एक नया भरोसा जगा है। करोड़ों की संख्या में गरीबों के लिए आवास,शौचालय बनाये गए,निशुल्क गैस सिलेंडर दिए गए। स्वरोजगार के लिए मुद्रा बैंक ने बड़ी संख्या में लोगों को लाभान्वित किया। स्वनिधि योजना से भी गरीब व्यवसायियों को लाभ मिल रहा है। अब तक का सबसे बड़ा आर्थिक पैकेज दिया गया। कोरोना काल में अस्सी करोड़ लोगों को निशुल्क राशन की व्यवस्था की गई। जन औषधी दवा केन्द्र की संख्या अस्सी से बढ़कर पांच हजार हो गई। करीब सवा सौ नये मेडिकल कालेज खुले है। यूपीए के दस वर्ष में भारतीय रेल ने मात्र चार सौ तेरह रेल रोड ब्रिज और अंडर ब्रिज का निर्माण किया।

मोदी सरकार ने पांच वर्ष में इससे तीन गुना अधिक निर्मांण किया। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के पन्द्रह करोड़ से ज्यादा लाभार्थी है। यह दुनिया की सबसे सस्ती योजना है। बिजली उत्पादन चालीस प्रतिशत वृद्धि हुई। सोलर ऊर्जा में आठ गुना वृद्धि हुई। फसल बीमा योजना का लाभ पहले पचास प्रतिशत नुकसान पर मिलता था। अब किसान को तैतीस प्रतिशत पर भी मिल जाता है। युरिया को नीम कोटेड किया कलाबाजारी खत्म हुई। देश मे युरिया की कोई कमी नहीं है।

बारह करोड़ लोगों को मुद्रा योजना से ऋण मिला। इतने ही किसानों को सम्मान निधि दी जा रही है। पिछली सरकारों के समय बावन सेटेलाईट लाँच किये थे। मोदी सरकार ने अब तक देशी विदेशी करीब तीन सौ सेटेलाईट लाँच कर चुकी हैं। यूपीए के समय ग्रामीण सडक से जुडी बस्ती मात्र पचपन प्रतिशत थी। अब करीब पंचानबे प्रतिशत हैं।

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