ककुवा ने यूपी के आसन्न विधानसभा चुनाव की चर्चा करते हुए कहा- नेतन क मुंह ते विकास, महंगाई, बेरोजगारी शब्द सुनि कय हमार जीव जरि जात हय। सत्ताधारी नेता फर्जी मा विकास अउ जन कल्याण केरी बात करत हयँ। विपक्षी नेता झुटठय महंगाई अउ बेरोजगारी क्यार रोना रोवत हयँ। सगरे नेता याकय थैली क चट्टे-बट्टे हयँ। सबका बस कौनिव तना कुर्सी चाही। सत्ता पावय खातिर जनता का आपस मा भिड़ाय रहत हयँ। नेतन क पास जाति, धर्म, भाषा अउ क्षेत्र छोड़ि कय कौनव मुद्दा नाय होत हय। चुनाव अवतय खन नेता रँगे सियार बन जात हयँ।
आज चतुरी चाचा बड़े प्रसन्नचित्त मुद्रा में अपने प्रपंच चबूतरे पर विराजमान थे।
ककुवा, मुंशीजी, कासिम चचा व बड़के दद्दा ‘राजनीति की सारंगी’ बजा रहे थे। भोर में अच्छी बारिश हो जाने से मौसम बड़ा सुहावना था। आकाश में बादल और जमीन पर हरियाली मचल रही थी। मदमस्त हवा में नीम के दोनों पेड़ बार-बार आलिंगनबद्ध हो रहे थे।मेरे पहुंचते ही ककुवा ने यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की बात छेड़ दी। ककुवा मोदी जी, योगी जी सरीखे कुछ नेताओं छोड़कर सबसे नाराज ही रहते हैं। वह मौका मिलते ही नेताओं की बखिया उधेड़ने लगते हैं।
चतुरी चाचा ने ककुवा की बात पर मोहर लगाते हुए कहा- ककुवा भाई, तुम सही कह रहे हो। लेकिन, आज भी कुछ नेता बड़ी ईमानदारी से जनता की सेवा कर रहे हैं। वे देश को आगे ले जाने के लिए चिंतित रहते हैं। राजनीति में आई गंदगी के लिए सिर्फ नेताओं को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है। हम मतदाताओं के कारण राजनीति में जाति, धर्म, भाषा, क्षेत्र व भ्रष्टाचार घुसा है। हम लोग खुद धनबल, बाहुबल, माफिया, भ्र्ष्टाचार को चुनते रहते हैं। हम लोग ईमानदार उम्मीदवार को घास ही नहीं डालते हैं। हम मतदाता खुद कभी जाति, कभी धर्म, कभी क्षेत्र और कभी भाषा के नाम पर गोलबंद होकर वोट करते हैं। ग्रामसभा से लोकसभा तक के चुनाव में यही होता है। इस गोलबंदी के कारण अच्छे प्रत्याशी मुँहकी खा जाते हैं। मतदाताओं को वोट बैंक में तब्दील करने वाले चकड़ राजनीतिज्ञ चुनाव जीत लेते हैं।
ककुवा ने इस पर कहा- देस मा लाखन केरी संख्या मा राजनीतिज्ञ हयँ। ई सब नेता जनता का बांटि कय कुर्सी पावे केरी गणित लगावत हयँ। देस का राजनेताओं केरी जरूरत हय। जाउनु जनता जनार्दन केरी निःस्वार्थ भाव ते सेवा करयँ। मुला, देस केरा दुर्भाग्य हय कि राजनेता कोऊ बना नाहीं चाहत हय। राजनीति अब समाजसेवा केरे बजाय कमाई क जरिया बनिगै। राजनीति मा बड़ी गंदगी होय गवै। यही कारन ते पढ़े-लिखे ईमानदार लोग राजनीति ते दूर होत जाय रहे। यहिमा हम मतदातन केरी गलतिव हय। हम पंच चुनाव मा निजी हित द्याखय लागित हय।
इसी बीच चंदू बिटिया जलपान की ट्रे लेकर आ गई। आज घुइयां के पत्तों का सैढ़ा (पकौड़ी) और चटनी खास थी। सभी परपंचियों ने स्वादिष्ट सैढ़ा ख़ाकर पानी पीया। फिर कुल्हड़ वाली स्पेशल चाय के साथ प्रपंच आगे बढ़ा।
बड़के दद्दा ने कहा- नेता सिर्फ मतदाताओं को ही नहीं बांट रहे हैं। बल्कि, पर्व-त्योहार, पशु-पक्षी, फल-सब्जी और रंग में भी बंटवारा कर रहे हैं। हर चीज आजकल राजनीतिक चश्मे से देखी जाती है। अभी देखो न , कांग्रेस के राहुल गांधी बोले हैं कि उन्हें यूपी के नहीं, बल्कि आंध्र प्रदेश के आम अच्छे लगते हैं। अब इस पर राजनीति शुरू हो गई। बसपा यूपी में फिर ब्राह्मण कार्ड खेलने के लिए मैदान में आ गई। सपा यादव-मुस्लिम गठजोड़ से कभी बाहर निकली ही नहीं है।
कासिम चचा बोले- बड़के, तुमने सबका बखान कर दिया। परन्तु, राजनीति में धर्म का तड़का लगाने वाली भाजपा को भूल ही गए। भारतीय राजनीति में धर्म को सबसे पहले भाजपा ने घुसेड़ा था। आज भी भाजपा मुद्दों के बजाय धर्म की राजनीति करती है। अन्य राजनीतिक पार्टियों की तरह भाजपा भी जातिगत आधार पर वोटरों को साधने की फिराक में रहती है। जनता के मुद्दों पर कोई भी चुनाव नहीं होता है। हम लोग खुद जाति-धर्म के मुद्दे पर वोट करने के आदी हो चुके हैं।
मुंशीजी ने विषय परिवर्तन करते हुए कहा- राजनीति में जो हो रहा है। हम सब जानते हैं। राजनीति अब बची ही नहीं है। अब तो कूटनीति की जा रही है। हम लोग भी अपना समय राजनीति में नष्ट कर रहे हैं। हम लोगों को अपने गांव-गिरांव, रोजी-रोटी व खेत-खलिहान की चिंता करनी चाहिए। हमें इन्हीं मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए। हम सबको राजनीति की कुटिल चालों से बचकर रहना चाहिए। आज खरीफ फसल, बारिश-बाढ़, गुरु पुर्णिमा और टोक्यो ओलंपिक पर चर्चा होनी चाहिए थी। महाराष्ट्र व बिहार में बाढ़ से हालत खराब है। टोक्यो ओलंपिक में भारत की मीरा बाई चानू ने शनिवार को रजत पदक जीत कर भारत का परचम फहरा दिया है।
इस पर चतुरी चाचा ने कहा- मुंशीजी, तुम सही कह रहे हो। लेकिन, लोकतंत्र में आम आदमी को राजनीति से दूर नहीं रहना चाहिए। राजनैतिक जागरूकता बहुत जरूरी है। क्योंकि, सरकार को हम ही चुनते हैं। खैर, अब समय बहुत हो गया है। कोरोना अपडेट हो जाए। फिर सब लोग जाकर अपनी खेत-बाड़ी, घर-द्वार देखो।
हमने सबको कोरोना अपडेट देते हुए बताया कि विश्व में अबतक 19 करोड़ 41 लाख से अधिक लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से 41 लाख 61 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। इसी तरह भारत में अबतक तीन करोड़ 13 लाख से अधिक लोग कोरोना की गिरफ्त में आ चुके हैं। इनमें से चार लाख 20 हजार से ज्यादा लोगों को कोरोना निगल गया। दूसरी लहर का प्रकोप अभी कई राज्यों में दिखाई दे रहा है। वहीं, तीसरी लहर के आने की आशंका बनी हुई है। हालांकि, 18 वर्ष आयु से ऊपर वालों को कोरोना की वैक्सीन बड़ी तेजी से लगाई जा रही है। इसी साल सितंबर में बच्चों की भी वैक्सीन आ जाने की उम्मीद है। इसी के साथ आज की बतकही समाप्त हो गई। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाले प्रपंच को लेकर हाजिर रहूँगा। तबतक के लिए पँचव राम-राम!