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लोक आस्था एवं सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा सूर्य (षष्ठी) आज

• अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा

• 36 घंटे निर्जला व्रती कल सूर्योदय के समय अर्घ्य देने के बाद करेंगी पारण

अयोध्या। लोक आस्था एवं सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा का कल दूसरा दिन खरना था। सूर्यदेव को समर्पित चार दिवसीय पर्व आज तीसरा दिन है। और सूर्य भगवान को अर्घ्य देने की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। आज के दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा काफी पुरानी है। कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन व्रती महिलाएं उपवास करती हैं। और शाम के समय किसी तालाब में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं।

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छठ का तीसरा दिन बहुत ही खास माना जाता है।ऐसा व्रत है। जिसमें आज तीसरे दिन अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जायेगा। संतान उत्पत्ति व संतानों के दीर्घायु होने व स्वस्थ रहने के लिए भगवान् भाष्कर की आराधना की जाती है। परिवार के सुख समृद्धि के लिए व्रती प्रार्थना करतीं हैं।

लोक आस्था एवं सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा सूर्य (षष्ठी) आज

आज शाम सूर्यास्त के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाएगा। छठ पर्व का यह पहला अर्घ्य होगा। मान्यता है कि इस दिन व्रती महिला के अलावा परिवार के सदस्यों को भी अर्घ्य देना चाहिए।

अर्घ्य देने के बाद सूर्य देव की अराधना करने का परंपरा है। सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने के बाद 20 नवंबर को नवम्बर को सूर्योदय के समय अर्घ्य अर्पण किया जाता है। व्रती के पारण करने के बाद 36 घंटे के व्रत का समापन होगा।

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कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी तिथि को महिलाएं उपवास करती हैं। और संध्याकाल में अस्त हो रहे सूर्य को अर्घ्य देती हैं। यह अर्घ्य पानी में दूध डालकर दिया जाता है। सूर्य अर्घ्य के समय व्रती महिलाओं के साथ परिवार के सदस्य भी मौजूद होते हैं।

इस शाम में अर्घ्य देने के लिए बांस की टोकरी में ठेकुआ, फल, चावल के लड्डू, नारियल, गन्ना मूली, कंदमूल आदि से सूप को सजाकर तैयार कर पूजा की जाती है। छठ का व्रत करने वाली महिलाएं खरना वाले दिन बने प्रसाद ग्रहण करने के बाद कुछ नहीं खाती हैं। जिसके बाद ही 36 घंटों का निर्जला व्रत शुरू होता है।

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छठ पर्व के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद चौथे दिन यानी कल उगते सूरज को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है। और इसके बाद ही व्रती महिलाएं कुछ खा पी सकती हैं। मान्यता है कि इन 36 घंटों को दौरान व्रती महिलाओं को पानी, जूस, दूध या किसी भी अन्न का सेवन नहीं करतीं हैं।

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लोक आस्था एवं सूर्य उपासना के महापर्व छठ पूजा सूर्य (षष्ठी) आज

हिंदू परंपरा में छठ एकमात्र ऐसा पर्व है। जिसमें शाम के समय यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सांयकाल में सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं। इसलिए छठ पूजा में शाम के समय सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है।

धार्मिक मान्यता है कि इस समय सूर्य की पूजा से व्यक्ति को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।मान्यता यह भी है कि अनुसार ढलते सूर्य को अर्घ्य देकर कई मुसीबतों से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके अलावा सेहत से जुड़ कई समस्याएं भी दूर होती हैं।

रिपोर्ट-जय प्रकाश सिंह

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