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भाजपा की वैचारिक यात्रा का विस्तार

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

भाजपा के स्थापना अधिवेशन में अटल बिहारी वाजपेयी ने तीन सौ कमल का जो सपना देखा था,वह साकार हुआ। वस्तुतः यह राष्ट्रभाव की सेवा यात्रा रही है। इस पर चलते हुए,बाधाओं को पार करते हुए,भाजपा देश ही नहीं दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन चुकी है। वास्तविक रूप में यह राष्ट्रीय पार्टी है। जिन प्रदेशों में इसका अस्तित्व नहीं था,वह भाजपा मुख्य मुकाबले में आ चुकी है। राष्ट्रीय स्तर पर इसका जनाधार है। भारतीय जनसंघ की स्थापना राष्ट्रवादी विचारधारा के आधार पर हुई थी। उस समय देश में कांग्रेस का वर्चस्व था।

यह माना जाता था कि जनसंघ को विपक्ष की ही भूमिका का निर्वाह करना है। तब सदन में इसका संख्याबल कम होता था।लेकिन वैचारिक ओज प्रबल था। भारी बहुमत की सरकारें भी इस नाम मात्र के संख्याबल के विचारों से परेशान होती थी। अटल बिहारी वाजपेयी जब संसद में बोलते थे,तब लोग ध्यान से सुनते थे। सरकार को भी कई मसलों को सुधारने संभालने की प्रेरणा मिलती थी। शायद यही तेवर देख कर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने अटल बिहारी वाजपेयी को भावी प्रधानमंत्री कहा था। उस समय इस बात पर विश्वास करना मुश्किल था। फिर जनता पार्टी का सरकार बनी। जनसंघ उसमें सहभागी रहा। बाद में भारतीय भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ। इसका स्थापना अधिवेशन मुम्बई में हुआ था। अध्यक्ष के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी का भाषण ऐतिहासिक था। इसमें ऐसी भविष्यवाणी थी,जो चरितार्थ हुई।

उन्होंने कहा था-‘भारत के पश्चिमी घाट को मंडित करने वाले महासागर के किनारे खड़े होकर मैं ये भविष्यवाणी करने का साहस करता हूं कि अंधेरा छटेगा,सूरज निकलेगा,कमल खिलेगा।’

फिर वह समय आया जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार का गठन हुआ। छह वर्षों तक इस सरकार ने देश की बेहतरीन सेवा की। अटल जी ने कहा था कि मैं तीन सौ कमल देख रहा हूँ। यह सपना भी साकार हुआ। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। जनसंघ और भाजपा की यात्रा में लाल कृष्ण आडवाणी का योगदान बहुत महत्वपूर्ण रहा है। उनकी राजनीति भी बेमिसाल रही है। करीब आधी शताब्दी तक अटल जी आगे चलते रहे। आडवाणी स्वेच्छा से पीछे रहे। संगठन के कार्य में संलग्न रहे। भाजपा सत्ता में पहुंची तब भी आडवाणी जी ने अटल जी को आगे कर दिया। खुद गृहमंत्री बने।

छह वर्षों में कभी भी उन्होंने प्रधानमंत्री बनने की इच्छा नहीं की। यह राजनीति की बेमिसाल जोड़ी थी। वह पार्टी को मजबूत बनाने और सरकार को अपेक्षित सहयोग करने की दिशा में सतत प्रयत्नशील रहे। आडवाणी जी की रथयात्राओं ने भाजपा को नए मुकाम पर पहुंचाया। वस्तुतः यह एक विचार यात्रा रही है। जिसने आधार पर भाजपा और भाजपा औरों से अलग दिखाई दे रही थी। आज यह देश की सबसे लोकप्रिय विचारधारा है। भाजपा एक मात्र पार्टी है जो व्यक्ति या परिवार पर आधारित नहीं है। यह पूरी तरह विचारधारा पर आधारित पार्टी है। इस विचार के आधार पर ही ऐसे अनेक मसलों का समाधान हुआ है, जिसकी कल्पना करना भी असंभव था।

इसके अलावा करोड़ों गरीब लोगों को अनेक योजनाओं का सीधा लाभ मिलना भी सनिश्चित हुआ है। संगठन संरचना की दृष्टि से भी भाजपा अलग दिखाई देती है। उसका विरोध करने वाली पार्टियां परिवार आधारित थीं। वामपंथी अवश्य परिवार आधारित नहीं थे। लेकिन जनभावना को समझने में नाकाम रहे। इसलिए इनकी प्रासंगिकता समाप्त होती जा रही है। पांच सौ वर्षों के बाद अयोध्या में राममंदिर निर्माण का सपना साकार हो रहा है। भूमि पूजन के बाद मंदिर निर्माण कार्य प्रारंभ हो गया है। तीन तलाक, अनुच्छेद 370 जैसे मुद्दों को छूने का लोगों में साहस नहीं था। नरेंद्र मोदी ने इच्छाशक्ति दिखाई। तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा,अनुच्छेद 370 समाप्त किया गया। इसी प्रकार नागरिकता संशोधन कानून लागू किया गया। जिससे पाकिस्तान, बांग्लादेश अफगानिस्तान के उत्पीड़ित बन्धुओं को नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हुआ।भाजपा की सरकारें सुशासन के प्रति समर्पित रहती हैं क्योंकि यही उनकी विचारधारा है। भाजपा इसी विचारधारा पर आधारित पार्टी है। दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद को साकार करने का काम भाजपा ने ही किया। उसकी सरकारें अनवरत इस दिशा में प्रयास कर रही हैं।

भाजपा समाज के आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति के विकास की बात करती है। उनको मुख्यधारा में शामिल करने का प्रयास करती है। इसके लिए अनेक योजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित किया गया है। कांग्रेस के लोग जब रिवोल्यूएशन की बात करते थे भाजपा इवेल्यूएशन की बात करती थी। वामपंथी पेट की भूख को बड़ा बताते हैं। वह मानते हैं कि भूख मिटने से संतुष्टि मिलती है लेकिन जहां शरीर, मन, बुद्धि एकात्म के साथ आगे बढ़ती है वहीं सम्पूर्ण संतुष्टि मिलती है। यही एकात्म मानववाद है। इसी में अंत्योदय विचार समाहित है।इसी के अनुरूप नरेंद्र मोदी सरकार ने चालीस करोड़ लोगों के जनधन खाते खुलवाए। पहले ये लोग बैंकिंग सेवा से वंचित थे। आयुष्मान, उज्ज्वला और निर्धन आवास योजनाएं संचालित की गई। देश खुले में शौच से मुक्त हो गया। भाजपा सरकार ने घर घर बिजली पहुंचाई।

आठ करोड़ गैस कनेक्शन दिए। राजीव गांधी ने प्रधानमंत्री रहते हुए कहा था कि योजनाओं के एक रुपये में पन्द्रह पैसा गरीबों तक पहुंचता था। आज पूरा पैसा सीधे लोगों के खातों में पहुंच रहा है। प्रधानमंत्री ने सही समय पर फैसला लिया और आज हम कोरोना से कम प्रभावित हुए।भाजपा अध्यक्ष ने विपक्ष पर जमकर निशाना लगाया।

उन्होंने कहा कि कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक हर पार्टी परिवारवाद और जातिवाद की चपेट में है। ऐसी पार्टियों में पिता अपनी गद्दी बेटे को सौंपते हैं लेकिन भाजपा में परिवारवाद नहीं है। भाजपा में साधारण परिवार से आनेवाले लोग प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं। भाजपा परिवार नहीं कार्यकर्ता आधारित पार्टी है। कार्यकर्ताओं की ताकत अमूल्य है। यह परिवर्तन लाने का माध्यम बनती है।

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