अयोध्या में देवकाली मंदिर का अपना अलग ही इतिहास है। प्रभु श्रीराम की कुलदेवी बड़ी देवकाली मंदिर देवकाली में स्थित है। जबकि छोटी देवकाली को माता सीता की कुलदेवी नाम से जाना जाता है। दंतकथा के अनुसार कि माता सीता जब विवाह के बाद अयोध्या आईं थीं। तो उन्होंने भी अपनी कुलदेवी का मंदिर स्थापित किया था। इसे छोटी देवकाली के नाम से जाना जाता है।
भगवान श्री राम की कुलदेवी मां बडी़ देवकाली करती हैं हर मनोकामना पूरी
माता सीता की कुलदेवी के रूप में छोटी देवकाली की आराधना होती है। देवकाली मंदिर भगवान श्रीराम की कुलदेवी का मंदिर है। वहीं, छोटी देवकाली का संबंध माता सीता से है। इसके बारे में मान्यता है कि माता सीता ने यहां माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित कराई थी। वे इसे अपने साथ जनकपुर से लेकर आई थीं।
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प्राचीन कथाओं के अनुसार, जब माता सीता विवाह के बाद अयोध्या आईं तो उन्होंने एक मंदिर की स्थापना की थी। यह मंदिर है छोटी देवकाली। नया घाट से अयोध्या के भीतर जाने वाले रास्ते पर कुछ दूर पर यह स्थित है। इस मंदिर में माता पार्वती माता गौरी के रूप में विराजती हैं। माता सीता की कुल देवी के तौर पर इस शक्ति पीठ में पूजा-अर्चना होती है। मान्यता है कि जब सीताजी जनकपुरी से अयोध्या अपने ससुराल के लिए चली थीं, तब वह अपने साथ अपनी कुल देवी माता पार्वती की प्रतिमा साथ लेकर आई थीं।
कहा जाता है कि सीताजी के कहने पर राजा दशरथ ने अयोध्या स्थित सप्तसागर के ईशानकोण पर उनका मंदिर बनवाया था। जिसे छोटी देवकाली कहा जाता है। माता सीता और दशरथकुल की अन्य रानियां यहां पूजा करने जाया करती थीं। शारदीय नवरात्रि व चैत्र नवरात्रि में श्रध्दालुओं की भीड़ पूजा अर्चना के लिए रहती है। अन्य दिनों में श्रध्दालु पूजा अर्चना करते रहते हैं।
रिपोर्ट-जय प्रकाश सिंह