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तेजी से फैल रहे JN.1 वैरिएंट से बच्चों को भी खतरा, डॉक्टर बोले- इन उपायों पर गंभीरता से दें ध्यान

कोरोनावायरस का नया वैरिएंट JN.1 दुनियाभर में तेजी से बढ़ रहा है। चीन से शुरू हुई इसकी रफ्तार अभी थमने का नाम नहीं ले रही है। 30-40 दिनों के भीतर सिंगापुर, अमेरिका और भारत सहित ये तमाम देशों में फैल चुका है। अमेरिका की मीडिया रिपोर्ट्स से पता चलता है कि नवंबर में जहां JN.1 वैरिएंट की प्रसार गति केवल सात प्रतिशत के करीब थी वह दिसंबर के मध्य तक 44 फीसदी से अधिक हो गई, यहां एक और लहर की आशंका जताई जा रही है।

इसी तरह से भारत में भी अब तक ये नया वैरिएंट 12 से अधिक राज्यों में फैल जा चुका है, शुक्रवार तक करीब 619 लोगों में इसके कारण संक्रमण की पुष्टि की जा चुकी है। अध्ययनों में भी कहा जा रहा है कि ओमिक्रॉन और इसके तमाम म्यूटेटेड वैरिएंट्स की रफ्तार काफी अधिक है और ये शरीर में बनी प्रतिरोधक क्षमता को चकमा देकर आसानी से संक्रमण को बढ़ाने वाली हो सकती है। जिसका मतलब है कि किसी आबादी में इसके संक्रमण की पुष्टि के बाद तेज गति से अधिक लोगों में संक्रमण बढ़ने का खतरा हो सकता है। डॉक्टर कहते हैं सभी लोगों को कोरोना से बचाव को लेकर सावधान रहने की आवश्यकता है। बच्चों में भी ये संक्रमण बढ़ाने वाला हो सकता है, इसलिए उन्हें भी कोरोना से बचाने के लिए जरूरी उपाय किए जाने चाहिए।

बच्चों-बुजुर्गों में भी संक्रमण का खतरा

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, अध्ययनों में अब तक यह स्पष्ट नहीं है कि मौजूदा टीकाकरण इस नए वैरिएंट से पूर्ण सुरक्षा प्रदान करता है या नहीं? इसलिए बच्चों सहित कमजोर इम्युनिटी वाले सभी लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए निवारक उपायों का पालन करना बहुत आवश्यक है। मास्क लगाने से लेकर स्वच्छता उपायों का पालन करने तक, माता-पिता के लिए बच्चों को वायरस के बारे में शिक्षित करना और इसके प्रसार को रोकना महत्वपूर्ण है। बच्चों में भले ही संक्रमण के कारण गंभीर रोगों का खतरा न देखा जाता रहा हो पर वे वाहक जरूर हो सकते हैं, जिससे कोरोना का प्रसार बढ़ने का खतरा हो सकता है।

क्या कहती हैं डॉक्टर?

श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ अमृता सिंह कहती हैं, दुनिया के कई देश नवीनतम कोविड-19 सब-वैरिंएंट JN.1 के कारण होने वाली समस्याओं से जूझ रहे हैं, भारत में भी इसके मामले बढे हैं इसलिए निवारक उपायों को सुदृढ़ करना जरूरी हो जाता है, खासकर बच्चों-बुजुर्गों के लिए जो अधिक असुरक्षित हो सकते हैं। बच्चों को कोरोना के संभावित खतरे से बचाने के लिए, भीड़-भाड़ वाली जगहों और समारोहों में न ले जाएं, बाहर-स्कूल जाते समय मास्क लगाने और हाथों की स्वच्छता का ध्यान देने की सलाह दी जाती है। मास्क पहनना और नियमित रूप से हाथों की स्वच्छता का ध्यान रखना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए जरूरी है।

बच्चों में संक्रमण के लक्षण?

ओमिक्रॉन और इसके अन्य वैरिएंट्स से संक्रमण की स्थिति में बच्चे हों या वयस्क सभी में लगभग एक ही तरह के लक्षण देखे जा रहे हैं। ज्यादातर संक्रमित एसिम्टोमेटिक हैं, वहीं जिनमें इसके लक्षण हैं उन्हें बुखार, खांसी, सर्दी, दस्त-उल्टी, सिरदर्द, शरीर में दर्द जैसी हल्की दिक्कतें हो रही हैं। ज्यादातर रोगी सामान्य उपचार के माध्यमों से आसानी से घर पर ही ठीक हो रहे हैं, हालांकि यदि बच्चों में ये लक्षण कुछ दिनों से बने हुए हैं तो किसी बाल रोग विशेषज्ञ से तुरंत परामर्श लेना महत्वपूर्ण है।

इस गंभीर समस्या पर भी दें ध्यान

हाल ही में कोरोना के कारण बच्चों में होने वाले दुष्प्रभावों को लेकर अलर्ट करते हुए लखनऊ स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के प्रोफेसर आर.के. गर्ग ने एक कार्यक्रम में कहा, कोरोना ने खसरा और सबस्यूट स्केलेरोजिंग पैनेंसेफलाइटिस (एसएसपीई) का जोखिम भी बढ़ा दिया है। महामारी के दौरान बच्चों में इन बीमारियों के टीकाकरण में समस्या आई है जिसके कारण इन रोगों का जोखिम हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं जिन बच्चों का टीकाकरण रह गया है उन्हें डॉक्टर से मिलकर इस बारे में सलाह लेना जरूरी है। बच्चों की इम्युनिटी को बढ़ाने वाले उपाय करते रहना भी बहुत आवश्यक है।

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