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CM योगी आदित्यनाथ ने दिया मिशन शक्ति का संदेश

मिशन शक्ति योगी आदित्यनाथ की अभिनव योजना है। इसके माध्यम से उन्होंने महिलाओं बालिकाओं की सुरक्षा और सम्मान का संदेश दिया। इसके दृष्टिगत प्रशासन को दिशा निर्देश दिए। शारदीय नवरात्र की पूर्व संध्या पर मिशन शक्ति के चतुर्थ चरण का शुभारंभ किया। कहा कि भारतीय परम्परा में नवरात्रि का आयोजन देवी के नौ स्वरूपों के माध्यम से शक्ति, ज्ञान तथा ऐश्वर्य के तीन महत्वपूर्ण पक्षों को प्रकट करता है। समाज में देवी की प्रतीक महिलाओं के सम्मान के कार्यों को आगे बढ़ाएं, तो वे समाज में नई प्रेरणा बनेंगे। यह कार्य आधी आबादी को स्वावलम्बन की दिशा में आगे बढ़ा सकते हैं। यह समाज व शासन की जिम्मेदारी है।

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शासन इसी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए मिशन शक्ति कार्यक्रम का शुभारम्भ कर रहा है। उत्तर प्रदेश पुलिस बल में 20 प्रतिशत महिला कार्मिकों की भर्ती के प्रयास किए गए। वर्ष 2017 में महिला पुलिस कार्मिकों की संख्या मात्र 10 हजार थी। वर्तमान में इनकी संख्या 40 हजार है।वर्तमान में प्रदेश सरकार 01 करोड़ परिवारों को हर महीने पेंशन की सुविधा दे रही है। इनमें 31 लाख से अधिक निराश्रित महिलाएं हैं। प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के माध्यम से 01 करोड़ 75 लाख परिवारों को निःशुल्क गैस के कनेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं। दीपावली से पूर्व उन्हें एक-एक रसोई गैस सिलेण्डर निःशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा।

CM योगी आदित्यनाथ ने दिया मिशन शक्ति का संदेश

स्वामित्व योजना के माध्यम से 66 लाख परिवारों को जहां पर उनका घर है, वहीं उनका मालिकाना अधिकार उपलब्ध कराया गया है। इनमें अधिकतर महिलाएं शामिल हैं। प्रदेश सरकार मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के माध्यम से बेटी के जन्म से लेकर स्नातक तक 15,000 रुपये की सहायता एक पैकेज के रूप में उपलब्ध करा रही है। बेटी की शादी के लिए मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के माध्यम से 51,000 रुपये की सहायता दी जा रही है। इसके अन्तर्गत 03 लाख गरीब बेटियों की शादी अब तक सम्पन्न हो चुकी है। ऐसे अनेक कार्यक्रमों से मिशन शक्ति अभियान आगे बढ़ा है।

प्रदेश में महिलाओं के स्वावलम्बन के लिए अनेक कार्य किए गए हैं। एक जनपद एक उत्पाद योजना के लाभार्थियों और प्रशिक्षण प्राप्त करने वालों में अधिकांश महिलाएं हैं। इन्होंने इस योजना को एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया है। मिशन शक्ति का प्रदेश का मॉडल भारत सरकार ने भी अपनाया है। इसी श्रृंखला में हाल ही में महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में देश की संसद ने प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित करके एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

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इस मॉडल ने प्रधानमंत्री जी के ‘वोकल फॉर लोकल’ तथा ‘लोकल फॉर ग्लोबल’ के अभियान को नई ऊंचाइयां प्रदान करने में मदद की है। प्रदेश सरकार ने इन्हें तकनीक, डिजाइन, पैकेजिंग तथा मार्केटिंग से जोड़ा। इस योजना ने प्रदेश को एक्सपोर्ट हब के रूप में स्थापित करने में मदद की।पहले गांवों में राशन के कोटे की दुकानों का विवाद होता था। ऐसे स्थानों पर इन दुकानों का दायित्व महिला स्वयं सहायता समूहों को दिया गया। महिला व बाल विकास विभाग के अन्तर्गत पोषाहार वितरित किया जाता था। इसमें शिकायतें आती थी। यह कार्य भी महिला स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से कराने की शुरूआत की गई। प्रदेश में किए गए अन्य कार्य भी महिलाओं के स्वावलम्बन का आधार बने हैं।

बीसी सखी इसका एक उदाहरण है। आज लगभग 50 हजार ग्राम पंचायतों में यह सफलतापूर्वक काम कर रही हैं। बी0सी0 सखी ने गांवों में बैंकों की कमी को दूर किया और स्वयं को स्वावलम्बन के पथ पर अग्रसर किया है। आज हर एक बी0सी0 सखी प्रतिमाह 25,000 रुपये से लेकर सवा लाख रुपये तक अर्जित कर रही है। उत्तर प्रदेश ने इस सम्बन्ध में एक नया मॉडल देश को दिया है। बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कम्पनी में आज 40,000 से अधिक महिलाएं हैं। इनका वार्षिक टर्न ओवर डेढ़ सौ करोड़ रुपये तथा नेट प्रॉफिट 15 से 16 करोड़ रुपये है।

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