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कोरोना वायरस: फैक्ट्स एंड फिक्शन’ सहयोग से मुक्ति का योग

लखनऊ । फिक्की फ्लो लखनऊ ने इस फ्लो वर्ष के लिए अपना पहला कार्यक्रम एक ऐसे विषय पर आयोजित किया, जिसने मौजूदा समय में सभी को प्रभावित किया है।

कोविड महामारी की दूसरी लहर ने हमें पिछले साल की तुलना में बहुत खराब और कठिन परिस्थितियों में लाकर खड़ा कर दिया है। हमारे कई परिवार के सदस्यों और दोस्तों ने वायरस से लड़ते हुए अपनी जान गवां दी है। कोविड के इस नए संस्करण और बच्चों पर इसके प्रभाव से संबंधित मुद्दों को समझना अनिवार्य हो गया था। इस वेबिनार को इसी स्पष्ट उद्देश्य के साथ आयोजित किया गया । ताकि महामारी के बारे में सभी नए बदलाव, वर्तमान प्रक्रियाओं और प्रोटोकॉल, विभिन्न मिथकों के साथ समझ सकें और यह बच्चों को कैसे प्रभावित करता है।

वेबिनार में डॉ. सूर्यकांत, प्रो. एंड एचओडी, श्वसन चिकित्सा और प्रभारी, कोरोना कंट्रोल टास्क फोर्स, केजीएमयू और बाल मनोचिकित्सक डॉ। अभिनव पांडे जैसे चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञ थे, जिन्होंने सभी सावधानियों और सुरक्षा उपायों के बारे में विस्तार से बात की।
डॉ. सूर्यकान्त ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि टीकाकरण से पहले कुछ सावधानियां आवश्यक है जिसमें यह ध्यान रखना है कि टीकाकरण वाले दिन व्यक्ति को बुखार नहीं होना चाहिए और खाली पेट टीकाकरण के लिए ना जाए और यदि किसी को कोविड-19 हो जाता है तो वह व्यक्ति ठीक होने के 2 हफ्ते बाद ही टीकाकरण कराए ,गर्भवती महिलाएं टीकाकरण नहीं करा सकती हैं।

 

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन-उत्तर प्रदेश के कोविड टीकाकरण के ब्रांड एम्बेसडर डॉ. सूर्य कान्त का कहना है कि कोरोना से प्रभावी रूप से बचाव के लिए टीकाकरण अति आवश्यक है उन्होंने कहा कि पहला टीका लगने के बाद हम लगभग 60% तक सुरक्षित हो जाते हैं और दूसरा टीका लगने के बाद हमारा सुरक्षा चक्र 80% तक बढ़ जाता है और अगर दोनों टीके लगने के बाद भी कोई व्यक्ति संक्रमित होता है तो कोई बहुत अधिक चिंता की आवश्यकता नहीं है वह घर पर ही कोविड-19 का इलाज कर जल्द स्वस्थ हो जाता है उन्होंने सभी से अपील की कि टीकाकरण बेहद सुरक्षित है और इसका मैं स्वयं एक उदाहरण हूँ।

एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि पीरियड्स के दौरान महिलाओं का टीकाकरण करने में कोई दिक्कत नहीं है। डॉ. सूर्य कान्त का कहना है कि कोरोना के मामलों में आई कमी के चलते लोगों ने लापरवाही बरतनी शुरू कर दी थी, जिसके कारण कोरोना को पाँव पसारने का मौका मिल गया। इसलिए सभी से यही अपील है कि कोरोना वायरस ने जब अपना विस्तार कर लिया है तो हमें भी अब पहले से अधिक सतर्कता बरतनी है और सावधान रहना है। जब तक सभी का सहयोग नहीं मिलेगा तब तक कोरोना से मुक्ति का योग बनना असम्भव है, इसलिए कोशिश होनी चाहिए कि बिना काम के बाहर न निकलें और बहुत जरूरी हो तो थ्री लेयर मास्क से अच्छी तरह से नाक और मुंह को ढककर ही निकलें।

भीडभाड़ में जाने से बचें और जिससे भी मिलें उससे दो गज की दूरी बनाकर रखें। बेवजह किसी वस्तु को हाथ लगाने से बचें और किसी वस्तु के संपर्क में आते हैं तो हाथों को साबुन-पानी या सेनेटाइजर से अच्छी तरह से साफ़-सुथरा कर लें। यह प्रोटोकाल हर किसी को अपने साथ ही घर-परिवार और समुदाय को सुरक्षित करने के लिए आने वाले कुछ दिनों के लिए बहुत ही जरूरी हो गया है। डॉ अभिनव पांडे ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर ने बच्चों और युवाओं को बहुत प्रभावित किया है आने वाले समय में बच्चों के लिए भी टीकाकरण उपलब्ध हो सकेगा तब तक हमें बच्चों को मास्क पहनना, हाथों को बार-बार धोना और सभी से उचित दूरी बनाए रखना, और साथ ही पौष्टिक भोजन करना सिखाना होगा।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए फिक्की फ्लो लखनऊ चैप्टर की अध्यक्ष आरुषी टंडन ने कहा कि इस वेबीनार के माध्यम से हमें यह जाने का अवसर प्राप्त हुआ कि कोविड-19 की इस लड़ाई में हमें क्या क्या सावधानियां रखनी चाहिए। टीकाकरण के प्रति जो भ्रांतियां फैली हुई हैं वह भी डॉ सूर्य कांत ने दूर कर दी है। समाज के हर वर्ग की महिलाओं का टीकाकरण सुनिश्चित हो इसके लिए हम सभी को प्रयास करना होगा।
इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. अर्पिता आनंद ने किया। वेबनार में सीमू घई, स्वाति वर्मा, शमा गुप्ता, वंदिता अग्रवाल के साथ साथ देश भर के फ्लो सदस्यों ने भाग लिया। इसे फेसबुक पर लाइव प्रसारित भी किया गया था।

शाश्वत तिवारी
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