दूसरी लहर में कहर बरपाने वाले कोरोना वायरस ने अब अपना रूप बदल लिया है। इस वायरस का नया वैरिएंट मिला है, जिसे ‘डेल्टा प्लस’ या ‘एवाई.1’ नाम दिया गया है। यह कोरोना के ‘डेल्टा’ वैरिएंट से बना है, जिससे बहुत ज्यादा संक्रमण बढ़ा था।
वहीं नए विश्लेषण में पाया गया कि फाइजर वैक्सीन की दो खुराक डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ 96 प्रतिशत प्रभावी है और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की दो खुराक 92 प्रतिशत प्रभावी है. फिलाडेल्फिया के चिल्ड्रन हॉस्पिटल के वैक्सीन शोधकर्ता डॉ. पॉल ऑफ़िट ने कहा, “वैक्सीन का दूसरा शॉट बहुत महत्वपूर्ण है.”
‘डेल्टा+’ वैरिएंट कोरोना वायरस के ‘डेल्टा’ या ‘बी1.617.2’ प्रकार में बदलाव होने से बना है। ‘डेल्टा’ वैरिएंट की पहचान पहली बार भारत में ही हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि यही वैरिएंट भारत में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के लिए जिम्मेदार था।
यूनिवर्सिटी ऑफ सास्काचेवान के वैक्सीन और संक्रामक रोग संगठन में एक वायरोलॉजिस्ट एंजेला रासमुसेन ने कहा कि नया डेटा बताता है कि फाइजर-बायोएनटेक या एस्ट्राजेनेका की दो खुराकें डेल्टा वेरिएंट पर ज्यादा प्रभावी रही है.उन्होंने कहा कि हमने अध्ययन में पाया कि दूसरा शॉट शरीर में वायरस-विशिष्ट न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी के स्तर को पहली खुराक की तुलना में 10 गुना ज्यादा बढ़ाता है.