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रीति रिवाज

रीति रिवाज

चारों तरफ भीड़ है इतनी
मिलना भी दुशवार
इन गलियारों में रहा
यही रीति रिवाज।।

पग पग पर अवरोधक है
प्रश्नों की बौछार
संदिग्धों जैसा होता है
अपने मन में अहसास।।

अहंकार का भाव है
बाहर है मुस्कान
इसी तरह से हो रहा
रिश्तों का निर्वाह।।

पल भर के मिलने का
इतना है सन्ताप
कुछ लोगों को जीत मिली
बाकी सबकी हार।।

डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

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