रीति रिवाज
चारों तरफ भीड़ है इतनी
मिलना भी दुशवार
इन गलियारों में रहा
यही रीति रिवाज।।पग पग पर अवरोधक है
प्रश्नों की बौछार
संदिग्धों जैसा होता है
अपने मन में अहसास।।अहंकार का भाव है
बाहर है मुस्कान
इसी तरह से हो रहा
रिश्तों का निर्वाह।।पल भर के मिलने का
इतना है सन्ताप
कुछ लोगों को जीत मिली
बाकी सबकी हार।।डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
Tags customs and traditions डॉ. दिलीप अग्निहोत्री रीति रिवाज
Check Also
कला दीर्घा एवं गुरुकुल कला वीथिका कानपुर का सहआयोजन, ‘अरघान’ चित्रकला प्रदर्शनी में उमड़े कलाप्रेमी
लखनऊ। कला दीर्घा, (Kala Diirgha) अंतरराष्ट्रीय दृश्यकला पत्रिका, लखनऊ एवं गुरुकुल, कला वीथिका, (Gurukul Kala ...