दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) ने रविवार शाम गिरफ्तार कर लिया। दिल्ली के कथित शराब घोटाले में आरोपी बनाए गए सिसोदिया को घंटों पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया।
आम आदमी पार्टी (आप) जहां सिसोदिया को बेकसूर बता रही है तो वहीं केंद्रीय जांच एजेंसी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। बताया जा रहा है कि छापेमारी में जब्त किए गए ‘डिजिटल डिवाइस’ में कुछ ऐसे सबूत मिले जिससे सिसोदिया की भूमिका पुख्ता हो गई।
सूत्रों ने यह भी बताया कि सिस्टम से अधिकतर फाइल्स को डिलीट कर दिया गया था। हालांकि, फॉरेंसिक टीम की मदद से इन रिकॉर्ड्स को दोबारा हासिल कर लिया गया। जांच में यह भी पता चला कि एक दस्तावेज बाहर तैयार किया गया था और वॉट्सऐप के जरिए इसे हासिल किया गया था।
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सीबीआई ने इसके बाद 1996 बैच के नौकरशाह को पूछताछ के लिए बुलाया जो सिसोदिया के सचिव रहे थे। उनसे उस फाइल के बारे में पूछा गया। फरवरी के पहले सप्ताह में उनका बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराया गया। सूत्रों के मुताबिक, अधिकारी ने जांचकर्ताओं को बताया कि सिसोदिया ने उन्हें मार्च 2021 में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पर बुलाया और उन्हें आबकारी नीति पर मंत्री समूह के ड्राफ्ट रिपोर्ट की एक कॉपी दी। अधिकारी ने बताया कि दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन भी वहां मौजूद थे, जो अब मनी लॉन्ड्रिंग केस में जेल में बंद हैं।
सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई ने पिछले साल 19 अगस्त को एक्साइज डिपार्टमेंट में छापेमारी के दौरान एक डिजिटल डिवाइसस को जब्त किया था। इसकी जांच के दौरान एजेंसी को एक ऐसा दस्तावेज मिला जोकि आबकारी विभाग के नेटवर्क का हिस्सा नहीं था। जब उन्होंने एक्साइज डिपार्टमेंट के एक अधिकारी से पूछताछ की तो सिसोदिया के दफ्तर में मौजूद एक कंप्यूटर के बारे में जानकारी मिली। इसे 14 जनवरी को सिसोदिया के दफ्तर से जब्त किया गया।