• राष्ट्रीय डेंगू दिवस पर सीएमओ कार्यालय के आर सी एच सभागार में आयोजित हुई गोष्ठी
• डेंगू की रोकथाम व नियंत्रण में सहभागिता व ज़िम्मेदारी जरूरी
कानपुर। डेंगू (Dengue) पर रोकथाम और नियन्त्रण के लिए समुदाय को जागरूक रहने की आवश्यकता है। मच्छर को पनपने से रोककर हम इस बीमारी से खुद के साथ घर.परिवार को भी सुरक्षित कर सकते हैं। जानकारी व जागरूकता ही डेंगू से बचाव है के सूत्र को मानते हुये क्या करें क्या न करें के सापेक्ष विभिन्न स्तरों पर प्रभावी कार्यवाही और क्रियान्वयन पर विशेष बल दें। जनपद के सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर जांच व उपचार की सुविधा मौजूद है। यह बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आलोक रंजन ने कहीं। मंगलवार को डॉ रंजन राष्ट्रीय डेंगू दिवस पर सीएमओ कार्यालय में आयोजित गोष्ठी को सम्बोधित कर रहे थे।
संचारी रोगों के नोडल अधिकारी डा. आरपी मिश्रा ने बताया कि सामान्यतया यह बीमारी मानसून या उसके बाद के महीनों में फैलती है। डेंगू का मच्छर दिन के समय काटता है। इसके वायरस की कोई विशेष दवा नहीं होने से लक्षणों के आधार पर इसका प्रबंधन किया जाता है। सबसे पहले बीमारी की पुष्टि की जाती है। इसके लिए जिला अस्पतालों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर फीवर डेस्क स्थापित की गई है। उन्होंने बताया कि डेंगू सहित अन्य वेक्टरजनित बीमारियों से बचाव के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से साल में तीन बार विशेष संचारी रोग नियंत्रण अभियान चलाया जाता है। इसके तहत मच्छरजनित परिस्थितियां न उत्पन्न हों इसके लिए विभिन्न विभागों के सहयोग से गतिविधियां भी की जाती हैं।
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जिला मलेरिया अधिकारी एके सिंह ने बताया की डेंगू एक मच्छर जनित रोग है। जो डेंगू वायरस से होता है। डेंगू मादा प्रजाति एडीज एजिप्टाई नामक मच्छर से फैलता है। इस मच्छर की यह विशेषता है कि एक बार डेंगू वायरस से संक्रमित होने के बाद जब यह अंडे देता है तो वह अंडे भी डेंगू वायरस से संक्रमित हो जाते हैं। इन अंडों से बनने वाले मच्छर भी संक्रमित होते हैं जो रोग फैला सकते हैं। इसके अंडे एक वर्ष तक जीवत रह सकते हैं। सूखा अंडा पानी पाते ही नए मच्छर तैयार कर देता है।
आईवीएम कॉर्डिनेटर पाथ सीएचआरआई सीताराम चौधरी ने बताया कि डेंगू बुखार एक वेक्टर मच्छर जनित बीमारी है जो शिशुओं छोटे बच्चों और वयस्कों को प्रभावित करती है। डेंगू के लिए अभी तक कोई विशिष्ट एंटीवायरल दवाएं नहीं हैं। रोगी के लिए अधिक से अधिक मात्रा में तरल पदार्थ पीना और पर्याप्त आराम करना महत्वपूर्ण है। डेंगू का मच्छर एडीज इजिप्टी दिन के समय काटता है। इसके मच्छर को टाइगर मच्छर भी कहते हैं। लक्षण की पहचान कर प्राथमिक व सम्पूर्ण उपचार से रोगी स्वस्थ हो जाता है। डेंगू की रोकथाम और नियंत्रण प्रभावी वेक्टर नियंत्रण उपायों पर निर्भर करता है।
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सहायक मलेरिया अधिकारी यू.पी. सिंह नें Dengue रोग वाहक मच्छर को नियंत्रित करने हेतु उसके ब्रीडींग हैबिट, रेस्टिंग हैबिट, फीडिंग हैबिट के बारे में जानकारी साझा किया जिससे उन स्थानों पर सोर्श रिडक्शन/वयस्क नियंत्रण कर बचाव कर सके। यह भी बताया कि जनपद में विगत वर्षों में पाये गये डेंगू धनात्मक केसों के आधार पर कुल 89(33 ग्रामिण एवं 56 नगरीय) हॉट स्पाट चिन्हित किये गये है जिसमें विगत माह अप्रैल में संचारी रोग नियंत्रण अभियान में जन जागरूकता ,सोर्श रिडक्शन, लार्वानाशक छिड़काव एवं अन्य गतिविधियॉं करायी गयी है।
इस मौके पर एसीएमओ डॉ सुबोध प्रकाश, एसीएमओ डॉ आरएन सिंह, सीफार संस्था से प्रसून द्विवेदी सहित फाईलेरिया नेटवर्क सदस्य और समस्त मलेरिया निरीक्षक मलेरिया इंस्पेक्टर और एएनएम प्रशिक्षण केंद्र से लगभग 50 एएनएम व अन्य लोग मौजूद रहे।
डेंगू से बचाव- डेंगू बचाव के लिए सबसे पहले आसपास जलजमाव होने से रोकें। इससे बचाव के लिए सप्ताह में एक दिन ड्राई डे हर रविवार मच्छर पर वार के रूप में मनाएं ।सभी पानी की टंकियों को ठीक से बंद होने वाले ढक्कनों से ढकें जिससे मच्छर न पनपने पाएं।
फ़ूल दान, पौधों के बर्तन, फ्रिज की ट्रे, चिड़ियों के लिए या एकत्रित जल को हर सप्ताह बदलें। पूरी बांह के कपड़े पहने, सोते समय मच्छरदानी, मच्छर रोधी क्रीम या क्वायल का प्रयोग करें। घर के दरवाजों और खिड़कियों पर जाली लगवाएं। घर और घर के आस पास अनावश्यक पानी का ठहराव न होने दें। टूटे बर्तन, टायर और शीशी को खुला नहीं छोड़ें। बुखार होने पर स्वयं कोई दवा न लें।
रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर