मुरादाबाद। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान बोले, प्राकृत सरीखी भाषाई धरोहरों के संवर्धन के लिए केंद्र सरकार कटिबद्ध है। उल्लेखनीय है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई यूनियन कैबिनेट की बैठक में प्राकृत, पाली, मराठी, बंगला और असमिया सरीखी भाषा को हाल ही में शास्त्रीय भाषाओं का दर्जा दिया गया है।
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केंद्र सरकार के इस फैसले से गदगद पांचों भाषाओं के प्रकांड विद्वानों ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से शिष्टाचार भेंट करके आभार व्यक्त किया है। शिक्षा मंत्री से मिलने वालों में प्राकृत भाषा के मूर्धन्य विद्वान और तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के जैन स्टडीज़ के प्रोफेसर चेयर प्रो धर्मचंद जैन भी शामिल रहे हैं।
इनके अलावा भारतीय भाषा समिति के चेयरमैन पदमश्री चमू कृष्ण शास्त्री, यूजीसी चेयरमैन एम जगदीश कुमार, प्राकृत भाषा के विद्वान- वाराणसी के प्रो फूलचंद जैन, दिल्ली के प्रो विजय कुमार जैन, बैंगलूरू से डॉ तृप्ति जैन, अहमदबाद से डॉ शोभना शाह की भी उल्लेखनीय उपस्थिति रही। विजिट के दौरान प्राकृत और पाली भाषा के उत्थान, आगामी योजनाओं के कार्यों पर शिक्षा मंत्री श्री प्रधान के साथ विस्तृत वार्ता हुई।
टीएमयू के प्रो धर्मचंद जैन समेत विद्वानों ने प्राकृत और पाली भाषा का साहित्य भी शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को भेंट किया। उल्लेखनीय है, शिक्षा मंत्री से सार्थक संवाद करने वालों में पांचों भाषाओं से पांच-पांच भाषाविद् शामिल रहे।
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इस मौके शिक्षामंत्री श्री प्रधान बोले, सरकार एनईपी-2020 के उद्देश्यों के अनुरूप देश की भाषाई धरोहर को मनाने, सम्मानित करने और संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने मातृ भाषाओं में सीखने की प्रतिबद्धता और सभी भारतीय भाषाओं पर समान ध्यान देने के संग-संग बहुभाषावाद को बढ़ावा देने पर जोर दिया। इसके अलावा श्री प्रधान ने कहा कि भारत का सार उसकी भाषाओं में झलकता है, ऐसे में हमारी सरकार भारतीय भाषाओं की वैश्विक उपस्थिति सुनिश्चित करने के प्रति संकल्पित है।
नई दिल्ली में प्राकृत, पाली, मराठी, बंगला और असमिया की पांच नई श्रेणी में आने वाली शास्त्रीय भाषाओं के विद्वानों से अहम संवाद के दौरान श्री प्रधान ने कहा, माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा कहते हैं, देश की सभी भाषाएं भारतीय भाषाएं हैं। विद्वानों ने इन भाषाओं को शास्त्रीय भाषाओं की सूची में शामिल होने पर श्री प्रधान को साधुवाद दिया। इन विद्वानों ने प्राकृत समेत पांच भाषाओं को शास्त्रीय भाषाओं की सूची में शामिल करने के लिए यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी आभार जताया। साथ ही इन विद्वानों ने इन भाषाओं को बढ़ावा देने और समृद्ध करने के लिए अपना समर्थन भी व्यक्त किया।