अनुपम खेर फ़िल्म जगत के उन कलाकारों में शामिल है,जिनकी शिक्षा व साहित्य में अभिरुचि रही है। आज भी प्रायः सभी राष्ट्रीय समस्याओं के संदर्भ में उनके बेबाक विचार रहते है। जन्हें सार्वजनिक रूप में वह प्रस्तुत भी करते है। वह केवल समस्या उल्लेख ही नहीं करते,बल्कि उनका समाधान भी बताने का प्रयास करते है। लखनऊ विश्वविद्यालय ने शायद इसीलिए शताब्दी वर्ष साहित्य समारोह में अनुपम खेर के साथ वर्चुअल इंटरफ़ेस का आयोजन किया गया। लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने अभिनेता अनुपम खेर का स्वागत किया। कहा कि यद्यपि विश्वविद्यालय परिवार को खेर जी का सानिध्य नहीं प्राप्त हो पाया पर वर्चुअल माध्यम से जुड़कर उनके सम्मुख लैपटॉप की एक स्क्रीन पर दिखाई देना भी अपने आप में उपलब्धि समान है।
उन्होंने कलाकार अनुपम खेर को विश्वविद्यालय की हाल ही में हुई उपलब्धियों से और इस शताब्दी वर्ष के दौरान उठाए गए नवोन्मेषी कदमों के बारे में अवगत कराया। इस पूरे आभासी इंटरफ़ेस को डॉ यतींद्र मिश्रा द्वारा संचालित किया गया था। अनुपम खेर ने बताया कि हालाँकि वह लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नहीं थे,लेकिन जब से वे निराला नगर में रह रहे थे,वे ज्यादातर लखनऊ विश्वविद्यालय के सामने से गुजरते थे और यही कारण था कि वे लखनऊ विश्वविद्यालय के साथ बहुत लगाव महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने लखनऊ में अपना पहला एटलस साइकिल खरीदा। पूरी बातचीत के दौरान अनुपम खेर ने उन्हें जीवन द्वारा पढ़ाए गए सभी सबक के बारे में बताया।
उन्होंने अभिनय और भारतीय सिनेमा के बारे में अपने विचारों के बारे में भी बताया और अपनी कला फिल्म “सारांश” और “एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर” के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि “अभिनय सोच के बारे में नहीं करने के बारे में है”। उन्होंने अपने पिता के बारे में बताया जो उनके सबसे अच्छे दोस्त थे और उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने पिता से कई चीजें सीखीं, जो कहते हैं कि “असफलता एक घटना है”।
अंत में उन्होंने कहा कि उनकी पसंदीदा पुस्तकें “चार्ली चैपलिन की जीवनी” “लस्ट फॉर लाइफ” और “हाउ दी स्टील वास् टेम्पर्ड” हैं। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा के विभिन्न पहलुओं और उनकी व्यावसायिकता के बारे में भी बात की। अंत में प्रो. निशि पांडे ने छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए अनुपम खेर और डॉ. यतींद्र मिश्रा को धन्यवाद दिया। डॉ. केया पाण्डेय सत्र का सञ्चालन कर रही थीं। संपूर्ण इंटरफ़ेस कार्यक्रम के दौरान, कुलपति, लखनऊ विश्वविद्यालय, प्रोफेसर आलोक राय ने भी सक्रीय सहभागिता की।