भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने एक रिसर्च में बताया है कि कोरोना वायरस वैक्सीन से भारत में युवा वयस्कों में अचानक मृत्यु का खतरा नहीं बढ़ा है। रिसर्च में कहा गया है कि जिन वजहों से मौतें हुई हैं या जिन कारणों ने ऐसी संभावनाओं को बढ़ाया, उनमें अतीत में कोरोना के लिए अस्पताल में रहना और मौत से कुछ समय पहले अत्यधिक शराब पीना और तीव्र शारीरिक गतिविधि जैसे कुछ व्यवहार शामिल थे।
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आईसीएमआर रिसर्च में कहा गया है, “कोविड-19 वैक्सीनेशन से भारत में युवा वयस्कों में अस्पष्टीकृत अचानक मृत्यु का खतरा नहीं बढ़ा है। पिछले कोविड-19 अस्पताल में भर्ती होने, अचानक मृत्यु का पारिवारिक इतिहास और कुछ जीवनशैली व्यवहारों ने की वजह से अचानक मृत्यु की संभावना को बढ़ा दिया है।”
हालांकि ये रिसर्च अभी तक प्रकाशित नहीं हुआ है। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को बताया कि यह इस महीने की शुरुआत में ये रिसर्च पूरा हो गया है और जल्द प्रकाशित किया जाएगा।
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आईसीएमआर रिसर्च का हवाला देते हुए, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने रविवार को गुजरात के भावनगर में कहा कि जिन लोगों को पहले गंभीर रूप से कोविड का सामना करना पड़ा था, उन्हें दिल के दौरे और कार्डियक अरेस्ट से बचने के लिए एक या दो साल तक खुद पर अधिक मेहनत नहीं करनी चाहिए।
क्यों किया गया ये रिसर्च?
असल में भारत में स्वस्थ युवा वयस्कों में अचानक होने वाली मौतों की रिपोर्टों ने इस रिसर्च के लिए शोधकर्ताओं को प्रेरित किया था। सूत्रों ने कहा कि मौतों ने चिंता पैदा कर दी थी कि वे वैक्सीनेशन से संबंधित तो नहीं थे। यह रिसर्च भारत में स्वस्थ युवा वयस्कों के बीच अचानक अस्पष्टीकृत मौतों में योगदान देने वाले कारकों की जांच के लिए आयोजित किया गया था।
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रिसर्च में 18 से 45 वर्ष की आयु के स्पष्ट रूप से स्वस्थ व्यक्तियों के मामले शामिल थे, जिनमें कोई अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्या नहीं थी, जिनकी 1 अक्टूबर 2021 और 31 मार्च 2023 के बीच अस्पष्ट कारणों से अचानक मृत्यु हो गई थी।