रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री
इसमें कोई सन्देह नहीं कि योगी आदित्यनाथ ने आपदा के इस दौर में कुशल क्षमता का परिचय दिया है। उन्होंने चुनौती को अवसर बनाने के प्रत्येक संभव प्रयास किये है। उनके प्रबंधन के दो पहलू रहे है। पहला कोरोना से बचाव व इलाज,दूसरा गरीबों का भरण पोषण। इसमें श्रमिकों की सुरक्षित व सम्मानजनक वापसी व उनके रोजगार का मुद्दा भी समाहित था। इसी के साथ योगी ने समय की नजाकत को समझा। वह समझ गए थे कि चीन के प्रति दुनिया में नाराजगी है। वह अब सुरक्षित व विश्वसनीय नहीं रहा। इसलिए भारत में निवेश के अवसर बढ़ेंगे। इसमें उत्तर प्रदेश की भूमिका अहम होनी है। इसलिए योगी ने निवेश को आकर्षित करने की भी इस आपदा काल में योजना बना ली थी। इसके लिए जिम्मेदारी का निर्धारण भी कर दिया था।
मीडिया से वार्ता के दौरान अनेक बिंदु उभरे। यह सभी योगी की प्रबंधन क्षमता को प्रमाणित करने वाले थे। उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार के एक वर्ष को ऐतिहासिक बताया। राम मंदिर निर्माण की शुरुआत, अनुच्छेद तीन सौ सत्तर की समाप्ति, तीन तलाक पर प्रतिबंध नागरिकता संशोधन कानून,आर्थिक पैकेज जैसे ऐतिहासिक कार्य हुए है। प्रदेश में आर्थिक गतिविधियां तेजी से आगे बढ़ रही हैं। केंद्र सरकार के आर्थिक पैकेज का सबसे ज्यादा लाभ उ.प्र. को मिला है।
लॉकडाउन के कारण हुए वित्तीय नुकसान की भरपाई के लिए जनता पर कोई नया टैक्स नहीं लगाया जाएगा। बल्कि उसे और राहत देने की कोशिश कर रही है। सभी बड़े प्रोजेक्ट लगभग प्रारंभ हो चुके हैं। एक्सप्रेस वे परियोजनाओं डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर और मेडिकल कॉलेज निर्माण कार्य प्रारंभ हो चुके हैं। एमएसएमई सेक्टर ने सत्ताईस लाख लोगों के साथ काम करना शुरू कर दिया है। बड़े उद्योग प्रारंभ हो चुके हैं जिनमें पैसठ हजार से ज्यादा लोगों ने काम शुरू कर दिया है। नए निवेश के लिए प्रस्ताव आने शुरू हो चुके हैं। विभिन्न क्षेत्रों में निवेश के लिए अलग अलग मंत्री समूह गठित हो चुके हैं।अमेरिका, जापान, दक्षिण कोरिया के कारोबारियों की सुविधा के लिए डेस्क स्थापित हो चुकी हैं। उनसे लगातार संवाद जारी है। चीन से कदम खींचने के इच्छुक निवेशक उप्र को भारत का सबसे अच्छे गंतव्य के तौर पर देखते हैं। जर्मनी की एक कंपनी ने निवेश के लिए उत्तर प्रदेश का चयन किया है।
संकट के इस समय में भी उप्र नए निवेश के लिए पूरी तरह तैयार है। तीस लाख कामगार श्रमिक अन्य प्रांतों से उत्तर प्रदेश में आए हैं। उन्हेंं सामाजिक आर्थिक सुरक्षा व पुनर्वास देने की जिम्मेदारी सरकार ने संभाली है। लॉकडाउन के दौरान भी प्रदेश में एक सौ उन्नीस चीनी मिलें,बारह हजार से ज्यादा ईंट भट्ठे और ढाई हजार से अधिक कोल्ड स्टोरेज चले, जिनमें पच्चीस लाख लोगों को रोजगार मिला। बंदी के दौरान प्रदेश के चौरानवे उद्यमों में श्रमिकों को सत्रह सौ करोड़ रुपये मानदेय और वेतन दिलाने की व्यवस्था कराई गई।