औरैया। जिले में स्थापित नेशनल थर्मल पावर कारपोरेशन (एनटीपीसी) के मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम) अनिल कुमार सिंह ने कहा कि बिजली की कोई कमी नहीं है और देश में कोयले का सौ वर्ष के लिए स्टाक है। इसलिए कोयला का कोई संकट नहीं है और हम लोग गैस से भी मेकअप कर रहे हैं। एनटीपीसी के सीजीएम ने सोमवार को प्लांट परिसर में पत्रकारों को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि एनटीपीसी के जितने प्लांट हैं उसमें आधे से अधिक में 6 से 8 दिन का कोयला उपलब्ध है जबकि कुछ प्लांट में 2 से 3 दिन का कोयला है।
इसे हम दो-तीन या सात दिन का कोयला क्षमता के अनुसार बोलते हैं, पर जहां पर 10 हजार टन कोयला की प्रतिदिन खपत है और वहां पर 20 हजार टन कोयला है तो बोलते हैं कि हमारे पास दो दिन का कोयला है जबकि हमारे पास रेगुलर कोयला आ भी रहा है।
उन्होंने कहा कि माना कि हमारे पास प्रतिदिन आठ हजार टन कोयला आ रहा है तो दो हजार टन ही कम पड़ा, उस हिसाब से हमारे पास 10 दिन का कोयला है।
उन्होंने एक अन्य उदाहरण देते हुए कहा कि हमारा सबसे बड़ा प्लांट विंध्याचल का है जहां पर 70-80 हजार टन कोयले की रोज खपत है और वहां पर 250 हजार टन कोयला है तो खपत के हिसाब से वह चार दिन के लिए है और वहां पर 50-60 हजार टन कोयला रोज आ रहा है तो 10 हजार टन ही तो कम पड़ रहा है उस हिसाब से वहां पर हमारे पास 25 दिन का कोयला स्टाक में है। उन्होंने कहा कि स्टाक और दिन की खपत देख लोगों को थोड़ा भ्रमित करता है जबकि ऐसा नहीं है, बिजली की कोई कमी नहीं है।
सीजीएम ने कहा कि हम लोग पूरे देश को देखते हैं जैसे आज 170000 मेगावाट की जरूरत है और हमारे पास कुल क्षमता 388000 मेगावाट की है। बताया कि हमारे देश की एनटीपीसी की क्षमता 66 हजार मेगावाट की है शेष अन्य माध्यमों से बिजली रोज जनरेट की जा रही है। उन्होंने बताया कि मेरा प्लांट लगातार 10 दिन से चल रहा है और पिछले 100-110 दिन में 90 दिन चला है।
एनटीपीसी में बिजली उत्पादन में कोई प्राब्लम नहीं है और देश में भी नहीं है। लोग डर रहे हैं ठीक उसी तरह जैसे कोरोना की तीसरी लहर के आने की संभावना से डर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले शुक्रवार को दिल्ली में बैठक हुई थी जिसमें बताया गया कि 10 से 15 दिन में कोयले की कमी की समस्या दूर हो जाएगी।
उन्होंने कोयला संकट का कारण बताते हुए कहा कि इस वर्ष वो भी सितम्बर माह में बहुत ज्यादा बारिश होने के कारण कोयला खदानों में पानी गया है फिर भी अगर होल प्रोडक्शन हो भी जाये तो ट्रांसपोर्टेशन में दिक्कत आ रही है जिस कारण थोड़ी समस्या है जो अस्थाई है। बिजली का कोई संकट नहीं है। हमारे देश में कोयले का स्टाक सौ साल का है कोयले की कोई कमी नहीं है। अभी हम लोग इस समस्या को गैस से भी मेकप कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि कोयला मंगाने के हमारे पास दो साधन हैं एक अपने स्तर से जहां पर माइन और प्लांट की दूरी कम है वहां पर अपने स्तर से और जहां पर दूरी ज्यादा है वहां पर कोयला रेलवे से लाते हैं। इस मौके पर परियोजना के एचआर प्रबंधक प्रवीन सेंगर व अनीता जी के अलावा अन्य सभी प्रमुख अधिकारी उपस्थित रहे।