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सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाखुश ओवैसी ने कहा- खैरात में नहीं चाहिए पांच एकड़ जमीन

ऑल इंडिया मजलिस इत्तिहादुल मुस्लमिन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से ख़ुश नहीं है. ओवैसी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट, सुप्रीम ज़रूर है लेकिन उनसे भी गलती हो सकती है. उन्होंने कहा कि हमें मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन के खैरात की जरूरत नहीं है.

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ”देश का मुसलमान उत्तर प्रदेश में पांच एकड़ जमीन खरीद सकता है. हमारी लड़ाई जस्टिस के लिए थी, हमें खैरात की जरूरत नहीं है. जिन लोगों ने 1992 में ढांचा गिराया था उन्हें ही मंदिर बनाने का अधिकार दे दिया है.”

उन्होंने कहा कि ”कोर्ट ने माना है कि वहां मंदिर नहीं था. मेरी राय है कि पांच एकड़ जमीन नहीं लेना चाहिए.”

एआईएमआईएम चीफ ने कहा, ”मैं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से सहमत हूं. हम हक के लिए लड़ रहे थे. हमें पांच एकड़ जमीन नहीं चाहिए. हमें किसी की भीख की जरूरत नहीं है. हमें खैरात नहीं चाहिए. पर्सनल लॉ बोर्ड को जमीन लेने से इनकार कर देना चाहिए.”

सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह राम मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने में ट्रस्ट बनाए. सात दशक पुराने जमीन विवाद पर पांच जजों द्वारा सर्वसम्मति से लिए गए फैसले में शीर्ष अदालत ने मामले में एक पक्षकार रहे सुन्नी वक्फ बोर्ड को वैकल्पिक तौर पर मस्जिद निर्माण के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन देने का भी आदेश दिया है.
शीर्ष न्यायालय ने 2010 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े को जमीन देना का निर्णय गलत था. अदालत ने कहा कि जमीन विवाद में मालिकाना हक केवल एक ही वैध पक्ष को दिया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज कर दिया, लेकिन कहा कि भले ही उनका दावा खारिज हो गया, लेकिन ट्रस्ट के बोर्ड में निर्मोही अखाड़े को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए.

अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की रिपोर्ट में कही बात को मानते हुए कहा, “बाबरी मस्जिद का निर्माण खाली जमीन पर नहीं हुआ था. विवादित जमीन के नीचे एक ढांचा था और यह इस्लामिक ढांचा नहीं था.”

फैसले में यह भी कहा गया कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि हिंदुओं की आस्था के अनुसार, राम का जन्म उसी जगह हुआ था, जिस जमीन के लिए विवाद चल रहा था.

अदालत ने यह भी कहा कि इस बात के भी सबूत हैं कि राम चबूतरा और सीता रसोई का पूजन फिरंगियों के भारत आने से पहले से होता आ रहा था.

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