केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने स्पेसिफाइड फाइनेंशियल ट्रांजैक्शन का दायरा बढ़ा दिया है. पिछले सप्ताह ही CBDT ने एक सर्कुलर जारी कर इस बारे में जानकारी दी है. SFT के दायरे में शेयर मार्केट और म्यूचुअल फंड्स से मिलने वाले कैपिटल गेन्स को भी शामिल कर दिया गया है. इसके अलावा शेयरों पर कंपनियों द्वारा दी जाने वाली डिविडेंड, बैंक या पोस्ट ऑफिस सेविंग्स व डिपॉजिट पर ब्याज और NBFC के साथ लेनदेन की जानकारी भी इसमें शामिल होगी.
इसके बाद बैंकों, म्यूचुअल फंड हाउसेज, रजिस्ट्रार, बॉण्ड जारीकर्ता जैसी ईकाईयों को एक तय लिमिट से अधिक लेनदेन की जानकारी टैक्स विभाग को देनी होगी. इन्हीं लेनदेन को स्पेसिफाइड ट्रांजैक्शन (SFT) कहा जाता है. इनकम टैक्स अधिनियम, 1962 के 114ई में इसका जिक्र है.
आप बताएं या न बातएं, टैक्स विभाग को होगी पूरी जानकारी
अब स्टॉक एक्सचेंजो, कंपनियों, म्यूचुअल फंड हाउसेज, पोस्ट ऑफिस, बैंकों आदि को ये जानकारियां टैक्स विभाग को देनी होगी. ऐसे में अगर आपने म्यूचुअल फंड यूनिट्स को बेचा है और इस पर कैपिटल गेन्स मिला है तो फंड हाउस इसकी जानकारी सीधे टैक्स विभाग को देगा. इसी प्रकार बैंक या पोस्ट ऑफिस के सेविंग्स और डिपॉजिट पर मिलने वाले ब्याज की जानकारी टैक्स विभाग तक पहुंच जाएगी.
अब तक क्या था नियम?
अभी तक किसी एक वित्तीय वर्ष में सेविंग्स बैंक अकाउंट, शेयरों, डिबेंचर्स, म्यूचुअल फंड्रस यूनिट्स की खरीद अगर 10 लाख रुपये से ज्यादा होती थी तो ही यह जानकारी टैक्स विभाग को दी जाती थी. इसके अलावा क्रेडिट कार्ड के लिए 1 लाख या इससे ज्यादा की रकम कैश में डिपॉजिट करने या किसी दूसरे तरीके से 10 लाख रुपये से ज्यादा के पेमेंट की जानकारी भी टैक्स विभाग को जाती थी.
टैक्स फॉर्म में पहले से ही भरी होंगी ये जानकारियां
लेकिन अब टैक्स विभाग को पहले से इन जानकारियों को मिलने का मतलब होगा कि टैक्सपेयर्स के लिए उनके टैक्स फॉर्म्स में इन्हें पहले से ही भरा जा चुका होगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार के बजट भाषण में यह स्पष्ट कर दिया था कि अब इनकम टैक्स फॉर्म्स पहले से ही कई जानकारियां भरी होंगी.