भारत में अक्सर मौतों के कारण दिल से जुड़ी बीमारियां जैसे, हार्ट अटैक और स्ट्रोक होता है. यही वजह है कि हार्ट अटैक का नाम सुनते ही मरीज डर जाते हैं. इसका कारण यह है कि हार्ट अटैक एक जानलेवा स्थित है, जिसमें कुछ मिनट बाद ही व्यक्ति की मौत हो जाती है. लेकिन हार्ट अटैक में कुछ लोगों को हल्का सा झटका भी महसूस होता है. जिसे माइनर हार्टअटैक कहते हैं.
माइनर अटैक एक तरह का हार्ट अटैक का संकेत होता है. लेकिन हममें से बहुत लोग इसे गैस की समस्या जानकर नजरअदांज कर देते हैं. चलिए आज हम आपको बताते हैं माइनर हार्ट अटैक के लक्षण…
माइनर अटैक को नॉन एसटी एलिवेशन मायोकार्डियल इंफार्कशन कहते हैं. इसमें हार्ट की नसें 100 % बंद नहीं होती है. कहने का मतलब है इस तरह के अटैक में ब्लड क्लॉट नस को पूरी तरह से बंद नहीं करते हैं. लेकिन इसमें हार्ट को डैमेज करने वाले इंजाइम्स बढ़े हुए रहते हैं. इसी लिए ये पूरी तरह से हार्ट अटैक नहीं कहते हैं.
हार्ट अटैक के बाद शरीर में ब्लड का फ्लो सामान्य हो जाता है, तो लोग इसे अधिकत्तर गैस की समस्या और हार्ट बर्न समजकर नजरअदांज कर देते हैं. लेकिन माइनर अटैक को हार्ट अटैक के पूर्व का संकेत माना जाता है. इस तरह के मामलों को देखते हुए आने वाले अगले 30 दिनों में दूसरा हार्ट अटैक आने के चांस लगभग 30% होते हैं. ये भी सेहत के लिए बहुत खतरनाक है. बस इसमें मरीज को अपने इलाज के लिए थोड़ा वक्त मिल जाता है.
माइनर अटैक के लक्षण-
माइनर अटैक में सीने में तेज दर्द, चलते वक्त भारीपन लगता, पसीना आना, बेचैनी होना, जबड़ो में दर्द , वहीं चलते हुए अचानक गिर जाना. लेकिन इन लक्षणों की इंटेंसिटी कम होती होती है तो लोग इसे नजरअंदाज कर देते हैं.
यदि आपको इस तरह के लक्षण महसूस होते हैं तो आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए. ज्यादातर ऐसे लक्षण यानी की माइनर अटैक के लक्षण होने पर मरीज को अधिकांश ट्रोपोनिन टेस्ट की सलाह दी जाती है. इसमें ईसीजी, ईको और कार्डियक एंजाइम्स की जांच की जाती है.