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स्कूलों में बच्चों को लग रहा डीपीटी-टीडी का टीका, 218 टीम 15 अक्टूबर तक स्कूलों में लगायेंगी टीका

कानपुर नगर। राष्ट्रीय नियमित टीकाकरण के तहत जनपद में सोमवार से विशेष टीकाकरण अभियान की शुरुआत की गई। इसके तहत पांच वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को डीपीटी और टीडी टीके लगाए जा रहे हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अलोक रंजन के निर्देश पर स्कूलों में 7 से 16 वर्ष तक तक के बच्चों को चिन्हित कर 26 सितंबर से टीडी टीकाकरण अभियान शुरू किया गया है। यह अभियान 15 अक्टूबर तक चलेगा। इसके लिए 218 टीमें लगाई गई हैं।सोमवार को डीपीटी के 2143 और 4479 टीडी के बच्चों को टीके लगाए जा चुके हैं।

सीएमओ ने टीमों को अलर्ट करते हुए 15 अक्टूबर तक प्राइमरी से हाईस्कूल तक के स्कूलों में विशेष अभियान चलाकर टीकाकरण से छूटे बच्चों को प्रतिरक्षित करने के निर्देश दिए हैं। पांच वर्ष से बड़े उम्र वाले बच्चों को टीकाकरण किया जाना है। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि बुधवार व शनिवार को छोड़कर नियत दिवस पर शहरी/ग्रामीण उपकेंद्र में तैनात एएनएम अपने क्षेत्र के सभी स्कूलों को भ्रमण कर (हाईस्कूल तक) छुटे हुए बच्चों को चिन्हित कर नियमानुसार टीकाकरण करे।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. एके कन्नौजिया ने बताया कि विशेष टीकाकरण अभियान में पांच वर्ष से अधिक व 10 से 16 वर्ष तक के बच्चों को स्कूल में शिविर लगाकर डिप्थीरिया-पर्ट्यूसिस-टिटनेस (डीपीटी) व टिटनेस-डिप्थीरिया (टीडी) के टीके लगाए जा रहे हैं। 7 से 10 वर्ष तक के ऐसे बच्चे जिनका विगत 5 वर्षों में डीपीटी वैक्सीन की कोई खुराक न मिली हो तो ऐसे बच्चों को टीडी वैक्सीन की एक खुराक दें। कक्षा 5 (10 वर्ष) पूर्ण करने वाले बच्चों को टीडी 10 एवं कक्षा 10 (16 वर्ष) पूर्ण करने वाले बच्चों को टीडी 16 वैक्सीन की डोज दी जा रही है।

क्या है डिप्थीरिया

उप जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. जसबीर सिंह बताते हैं कि डिप्थीरिया छोटे बच्चों का एक संक्रामक रोग है। यह अक्सर 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की आयु के बच्चों में अधिक होता है। यह बीमारी कॉरीनेबैक्टेरियम डिप्थीरिया नामक बैक्टीरिया के संक्रमण से होती है। यह बैक्टीरिया टांसिल व श्वास नली को संक्रमित करता है। डिप्थीरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है। कभी-कभी यह बीमारी जानलेवा साबित होती है।

डिप्थीरिया से बचाव

टीकाकरण से बच्चे को डिप्थीरिया बीमारी से बचाया जा सकता है। डॉ. जसबीर ने बताया कि नियमित टीकाकरण में पेंटावेलेंट्स के संयुक्त टीके में डीपीटी का टीका लगाया जाता हैं। बच्चे को जन्म से 6वें सप्ताह में पहला, 10वें में दूसरा और 14वें सप्ताह में तीसरा टीका लगाया जाता है। इसके बाद 16 से 24 माह पर डीपीटी का पहला बूस्टर और 5 साल में दूसरा बूस्टर लगाया जाता है। इसके अलावा गंभीर परिस्थिति में बच्चे को एंटी-टोक्सिन भी दिया जाता है, इससे टीकाकरण के बाद डिप्थीरिया की संभावना कम रहती है।

रिपोर्ट-शिव प्रताप सिंह सेंगर 

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