लखनऊ। युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय की हिंदी सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन 23 नवंबर को युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में अंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र जनपथ विंडसर प्लेस,नई दिल्ली में आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में BSNVPG COLLEGE LUCKNOW के हिन्दी विभाग के शिक्षक डाक्टर प्रणव मिश्रा भी आमंत्रित रहे।
इस समिति के अध्यक्ष मंत्री अनुराग ठाकुर ने बैठक में उपस्थित समिति के सभी सदस्यों का स्वागत किया। सभी सदस्यों एवं अधिकारियों के परिचय के उपरांत अध्यक्ष महोदय की अनुमति से संयुक्त सचिव युवा कार्यक्रम नितेश कुमार मिश्र ने अपने संबोधन में मंत्रालय और इसके अधिनस्थ संबद्ध कार्यालयों और राजभाषा भारतीय खेल प्राधिकरण नेहरू युवा केंद्र, संगठन राष्ट्रीय सेवा योजना निदेशालय इत्यादि में चलाए जा रहे कार्यकलापों और विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा राजभाषा हिंदी के क्रियान्वयन के लिए मंत्रालय द्वारा किए गए प्रयासों और उपायों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।
अध्यक्ष महोदय ने गणमान्य सदस्यों से इस विषय के बारे में सुझाव मांगे। सर्वप्रथम माननीय राज्यसभा सांसद बी लिंग्या यादव ने सरकारी कार्यालयों में हिंदी को प्रयोग की दृष्टि से “ग” क्षेत्रों में क्षेत्रीय भाषाओं के अलावा हिंदी भाषा को बोलचाल में लोगों में कैसे समावेशित हो इस पर अपने विचार साझा किए। इसके उपरांत अखिल भारतीय हिंदी संस्था (राष्ट्रभाषा प्रचार समिति वर्धा) से आए माननीय सदस्य डॉक्टर हेमचंद्र वैद्य अपने सुझाव में बताया हिंदी रोजगार की भाषा बने तथा सरकारी कामकाज में हिंदी का प्रयोग बढ़ाने, नोटिंग ड्राफ्टिंग में अधिकाधिक हिंदी का प्रयोग करने तथा हिंदी में पत्राचार बढ़ाने के संबंध में सुझाव दिया।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के डीन प्रोफेसर सुधीर प्रताप सिंह ने हिंदी के व्यवहारिक प्रयोग पर ध्यान देने की बात कही और यह बताया तकनीक में हिंदी का प्रयोग हो तभी आने वाले समय में हम वैश्विक स्तर पर पहचान बन सके। अंशुल श्रीवास्तव ने राजभाषा हेतु किए गए भौतिक उपायों के भौतिक सत्यापन पर बल दिया और कहा की प्रत्येक 3 माह में राजभाषा विभाग द्वारा किए गए प्रयासों से माननीय सदस्यों को अवगत कराया जाए।
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डॉक्टर सत्येंद्र कुमार शुक्ला ने बताया कि मंत्रालय अधीनस्थ कार्यालयों द्वारा आयोजित हिंदी कार्यशाला मैं गैर सरकारी सदस्यों की सहभागिता सुनिश्चित करने से हिंदी का व्यवहारिक ज्ञान व प्रशिक्षण देने में सहायता मिलेगी। डॉक्टर रूपा चारी ने समूह “ग” क्षेत्र में लोगों में हिंदी के प्रति लगन जागृत हो इस पर अपने विचार साझा किए।डॉ प्रणव कुमार मिश्र ने अपने वक्तव्य में यह बताया कि राजभाषा अधिनियम में यह व्यवस्था है कि हिंदी को बलपूर्वक स्थापित नहीं किया जा सकता बल्कि उसे सौहार्द एवं सद्भाव के माध्यम से लागू करना होगा। इसी क्रम में उन्होंने यह कहा कि हिंदी के व्यवहारिक प्रयोग के लिए बोधगम्यता अत्यंत आवश्यक है। अनुवाद सार्थक हो शब्दों का भावानुवाद होना चाहिए, शाब्दिक अनुवाद से बचना चाहिए।
डॉ मिश्र ने अभी हालही में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा लिए गए निर्णय का उदहारण दिया जिसमे एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में शुरू करने के सराहनीय प्रयास प्रशंसा की और इसे देश के अन्य हिस्सों के लागू करने का सुझाव दिया, इससे यह साबित होगा कि हिंदी में विज्ञान एवं तकनीकी भाषा बनने की पूरी क्षमता है। वर्तमान समय विज्ञान का युग है, तकनीक के क्षेत्र में #हिंदी के प्रयोग को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। जब हिंदी विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में प्रयोग की जाने लगेगी तब इस भाषा के माध्यम से नवयुवकों को रोजगार मिलने की संभावना बढ़ेगी। विज्ञान एवं तकनीक के नए शब्दों का हिंदी अनुवाद सरल एवं सुबोध होना चाहिए जहां उपयुक्त शब्द चयन में कठिनाई हो वहां क्रिकेट, और स्टेशन की तरह अंग्रेजी के मूल शब्दों को हिंदी में शामिल कर लिया जाना चाहिए इसके लिए तत्सम प्रधान संस्कृत निष्ठ कठिन शब्दों के प्रयोग से बचना चाहिए ताकि तकनीक एवं विज्ञान की हिंदी सरल सुबोध एवं बोधगम्य हो सके।
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बैठक में हुए विचार विमर्श और माननीय सदस्यों से प्राप्त सुझावों पर अध्यक्ष महोदय ने अपने वक्तव्य में बताया कि मंत्रालय मैं हिंदी का प्रयोग बढ़ाने हेतु ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है और हिन्दी भाषा में अभिव्यक्त की अपार क्षमता है। अतः हिंदी को शिक्षा व्यवसाय एवं विज्ञान की भाषा बनाने के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति दिखाने की जरूरत है।