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सामाजिक परिप्रेक्ष्य में शिक्षा

राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल और उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने उच्च शिक्षा से संबधित कार्यक्रमों को संबोधित किया। दोनों कार्यक्रम पृथक थे,लेकिन उनका मूलभाव समान था। आनन्दी बेन ने लखनऊ में एक समीक्षा बैठक को वर्चुअल माध्यम से संबोधित किया। डॉ दिनेश शर्मा डॉ भीमराम आंबेडकर विश्वविद्यालय के समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। पिछली शिक्षा प्रणाली में एक प्रकार की जड़ता आ गई थी। चार दशकों से इसमें सुधार को आवश्यक बताया जा रहा था। लेकिन पिछली सरकारों ने इस दिशा में प्रभावी कदम नहीं बढ़ाया। नरेंद्र मोदी सरकार ने करीब छह वर्षों तक इस पर विचार विमर्श का अभियान चलाया। लाखों की संख्या में शिक्षाविद इसमें सहभागी हुए।

उन्होंने अपने विचारों से सरकार को अवगत कराया। इसके बाद ही नई शिक्षा नीति को लागू किया गया। लेकिन कोरोना के दौरान व्यवधान हुआ। इसके दृष्टिगत ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली पर अमल सुनिश्चित हुआ। शिक्षा मानव के लिए जरूरी है,लेकिन यह जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हो सकती। कोरोना काल में विद्यार्थियों को सुरक्षित रखते हुए शिक्षा के क्रम को बनाये रखने का प्रयास किया गया। इसके साथ ही शिक्षण संस्थानों के सामाजिक सरोकारों पर भी जोर दिया गया। इसके अंतर्गत अनेक विश्वविद्यालयों ने उल्लेखनीय कार्य किये। इसमें सेनेटाइजर निर्माण से लेकर कम्युनिटी किचेन का संचालन शामिल था।

वर्तमान समय में वैक्सिनवशन व अनाथ बच्चों को गोद लेने में भी विश्वविद्यालय सहयोगी बन रहे है। वस्तुतः यह समाज सेवा मात्र ही नहीं है,बल्कि इसके माध्यम से विद्यार्थियों में समाज व राष्ट्रबोध की शिक्षा भी मिल रही है। शिक्षित होने से अधिक महत्वपूर्ण अच्छा नागरिक व अच्छा इंसान बनना जरूरी है। अन्यथा उच्च व जिम्मेदारी के पद पर पहुंचने के बाद भी व्यक्ति स्वार्थ में ही लगा रहता है। विश्वविद्यालय जब शिक्षा के साथ सामाजिक सरोकारों पर अमल करते है,तब उसका व्यापक मनोवैज्ञानिक प्रभाव विद्यार्थियों पर होता है। इस भावना की विकसित करने की आवश्यकता है। कोरोना आपदा ने सामान्य व्यवस्था को व्यापक रूप में प्रभावित किया है। इसके चलते सभी संस्थाओं की कार्य प्रणाली में बदलाव हुआ।

इसी के साथ आपद धर्म के रूप में नई जिम्मेदारी भी बढ़ी है। समाज के हित में इन दायित्वों के निर्वाह की आवश्यकता है। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल शिक्षण व चिकित्सा शिक्षण संस्थानों को इन नई जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करती रही है। कोरोना से बचाव हेतु देश व उत्तर प्रदेश में वैक्सिनेशन अभियान चल रहा है। आनन्दी बेन पटेल इसमें शिक्षण संस्थानों के योगदान को आवश्यक मानती है। पिछले दिनों अनेक विश्वविद्यालयों की समीक्षा बैठक में उन्होंने इसके संबन्ध में निर्देश दिए। इसके अलावा कोरोना के प्रकोप में अनेक बच्चे अनाथ हो गए है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इनके पालन पोषण हेतु योजना लागू की है। इसका क्रियान्वयन चल रहा है। आनन्दी बेन पटेल इसमें भी विश्वविद्यालयों के योगदान को आवश्यक मानती है। अनाथ बच्चों की भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति करने ही पर्याप्त नहीं है। उनको पारिवारिक स्नेह व माहौल भी मिलना चाहिए। इस क्रम में आनन्दी बेन ने कहा कि विश्वविद्यालय अपने समस्त स्टाफ,छात्र छात्राओं तथा उनके अभिभावकों का शत प्रतिशत वैक्सीनेशन कराये। विश्वविद्यालय कोविड के कारण अनाथ हुए बच्चों को गोद लेने का काम करें। उनकी समुचित देखभाल की व्यवस्था भी करें। उधर आगरा में डॉ दिनेश शर्मा ने शिक्षा को पूरी गुणवत्ता व दिशानिर्देशों के साथ संचालित करने का निर्देश दिया।

आगामी परीक्षाओं में अन्य व्यवस्थाओं के साथ ही विद्यार्थियों के स्वास्थ संबधी प्रबंध भी किये जायेंगे। जिससे आवश्यकता पड़ने पर उन्हें शीघ्र ही उपचार मिल सके। परीक्षा केंद्रों पर कोरोना बचाव के सभी प्रबंध करना आवश्यक होगा। उन्होंने बाह में निर्माणाधीन राजकीय महाविद्यालय का निर्माण कार्य पुनः प्रारम्भ कराने के निर्देश के साथ ही महाविद्यालय का नाम अटल बिहारी वाजपेयी राजकीय महाविद्यालय रखने के दिये निर्देश दिया। इन प्रबन्धों के साथ परीक्षा का सकुशल संचालन किया जाएगा। परीक्षाओं को इस प्रकार सम्पन्न कराया जाय कि सुरक्षा व्यवस्था से सम्बन्धित कोई भी शिकायत न आने पाये। उन्होंने कहा कि परीक्षा नकल विहीन कराना प्रदेश सरकार की प्राथमिकता है। प्रत्येक परीक्षा केन्द्र पर स्टैटिक मजिस्ट्रेटों की तैनाती सुनिश्चित किया जाय। परीक्षा की अवधि अधिकतम डेढ़ घण्टे रहेगी।

बालिकाओं के लिए स्वकेन्द्र व्यवस्था होगी। राज्यपाल की तरह उप मुख्यमंत्री ने भी वैक्सिनेशन पर बल दिया। उन्होंने तीसरी लहर के दृष्टिगत अधिकारियों को निर्देश दिए कि टीकाकरण एवं पीकू वार्ड सहित अन्य सभी तैयारियां पूर्ण कर लिया जाय। किसी प्रकार की कोई कमी न रहने पाये। मेडिकल किट की आवश्यकतानुसार नियमित वितरण कराया जाय। ऑक्सीजन की अधिकतम कितनी मांग हो सकती है, इसको दृष्टिगत रखते हुए आक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था सुनिश्चित की जाय। ऑक्सीजन प्लांट संचालन की स्थिति की जांच नियमित की जाय। निगरानी समिति के सदस्य आशा व अन्य कर्मियों को ब्लॉक स्तर पर प्रशिक्षण दिया जाय। ताकि वे अपने कार्यों को और बेहतरीन तरीके से सम्पादित कर सकें।

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