लखनऊ। प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने राजधानी लखनऊ में 1,500 करोड़ रुपये की लागत वाली गोमती रिवर फ्रंट विकास परियोजना में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच के सिलसिले में गुरुवार को कई राज्यों में छापेमारी की।
आरोपियों और उनके सहयोगियों के परिसरों में छापेमारी
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक स्थानीय पुलिस की सहायता से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों की एक टीम ने उत्तर प्रदेश में लखनऊ और नोएडा,दिल्ली,हरियाणा और राजस्थान में आरोपियों और उनके सहयोगियों के परिसरों में छापेमारी की। केन्द्रीय जांच एजेंसी ने पिछले साल मार्च में इस सिलसिले में धन शोधन रोकथाम कानून (पीएलएलए) के अंतर्गत आपराधिक मामला दर्ज किया था। सीबीआई की प्राथमिकी का संज्ञान लेने के बाद ईडी ने यह मामला दर्ज किया था। राज्य सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर न्यायाधीश आलोक कुमार सिंह के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया था। जिसने 16 मई 2017 की तारीख वाली अपनी रिपोर्ट में परियोजना में प्रथम दृष्टया अनियमितताओं का संकेत दिया था।
परियोजना को पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की सरकार ने
उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार के गोमती रिवर फ्रंट सौंदर्यीकरण परियोजना की जांच के आदेश देने के बाद सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की थी। इस परियोजना को पूर्ववर्ती समाजवादी पार्टी की सरकार ने पूरा किया था। सीबीआई ने तत्कालीन मुख्य अभियंताओं गुलेश चंद्रा, एसएन शर्मा, काजिम अली, तत्कालीन अधीक्षण अभियंता मंगल यादव, अखिल रमन, कमलेश्वर सिंह, रूप सिंह यादव और अधिशासी अभियंता सुरेन्द्र यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज किया था। गुलेश चंद्रा, मंगल यादव, अखिल रमन और रूप सिंह यादव सेवानिवृत्त हो गए हैं।