लखनऊ। राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने शिक्षक दिवस पर महान शिक्षाविद् डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का स्मरण किया. कहा कि मानव-मूल्यों की समझ जीवन की सबसे बड़ी शिक्षा है। विश्व में ऐसे अनेक महापुरूष हुए हैं, जिन्होंने कभी विद्यालय जाकर शिक्षा प्राप्त नहीं की लेकिन समाज में बड़े आदर्श मूल्यों की स्थापना की। विद्यालय में शिक्षा व्यवस्था से जुड़ा हर व्यक्ति महत्वपूर्ण है।
प्रधानाध्यापक से लेकर सफाई कर्मचारी तक विद्यालय की नियमित व्यवस्था में अहम् भूमिका निभाते हैं। इसलिए शिक्षक दिवस पर शिक्षकों के साथ-साथ विद्यालय के अन्य कार्याें में लगे कर्मचारी भी सम्मान के पात्र हैं।
राज्यपाल ने कबीरदास के प्रसिद्ध दोहे “गुरू-गोविन्द दोउ खड़े” का उल्लेख करते हुए कहा कि गुरू का स्थान ईश्वर से भी ऊपर है क्योंकि उसी की कृपा से ईश्वर का दर्शन सम्भव है। उन्होंने कहा गुरू का ये दायित्व है कि वह अपने शिष्य की शिक्षा के साथ-साथ उसके सामाजिक, मानसिक और स्वास्थगत विकास का भी ध्यान रखे। गुरू का कार्य देश को स्वस्थ, शिक्षित और सभ्य नागरिक देना है।
आनंदीबेन पटेल ने शिक्षक दिवस के अवसर पर यहाँ इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में उत्तर प्रदेश बोर्ड की 10वीं कक्षा में सर्वाधिक अंक प्राप्त करने वाली 75 छात्राओं को रू0 10,000/- की एकमुश्त छात्रावृत्ति का वितरण किया।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के सिर्फ स्कूल परिसर तक ही सीमित न रखें, सर्वांगीण विकास के लिए परिसर के बाहर भी विविध गतिविधियों से जोड़ा जाए। उन्होंने स्वयं सेवी संस्थाओं को विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में योगदान देने के लिए आव्हान करते हुए कहा कि संस्थाएं बच्चों को देश एवं प्रदेश के ऐतिहासिक स्थलों, भौगोलिक विशेषता के क्षेत्रों, औद्योगिक इकाइयों का भ्रमण कराकर उनका ज्ञानवर्द्धन करने में सहयोग दे सकते हैं।