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बच्चों के शत-प्रतिशत टीकाकरण के लिए परिवार का व्यवहार परिवर्तन बेहद जरूरी

• ब्लॉक रिस्पांस टीम को दिये नियमित टीकाकरण को सफल बनाने के टिप्स

• आशा समय से तैयार करे ड्यू लिस्ट, शत-प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित कराएं

वाराणसी। बच्चों के नियमित टीकाकरण कार्यक्रम को शत-प्रतिशत सफल बनाने के लिए सामुदायिक व्यवहारिक परिवर्तन और सुदृढ़ीकरण की बेहद आवश्यकता है. समुदाय में ऐसे कई परिवार हैं जो जागरूकता और जानकारी के अभाव से अपने बच्चों का टीकाकरण नहीं करा रहे हैं या आंशिक रूप से करवा रहे हैं। ऐसे ही उदासीन परिवारों को स्वास्थ्य विभाग की ब्लॉक रिस्पांस टीम (बीआरटी) जागरूक व प्रेरित करेंगी और किसी कारण से छूटे बच्चों का टीकाकरण भी पूरा कराएंगी।

इस सम्बन्ध में सोमवार को स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में यूनिसेफ के सहयोग से एक दिवसीय अभिमुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय स्थित धन्वंतरि सभागार में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता सीएमओ डॉ संदीप चौधरी ने की। इसमें नगर स्तरीय समस्त प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के प्रभारी चिकित्साधिकारी एवं ब्लॉक स्तरीय स्वास्थ्य केन्द्रों से स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी (एचईओ), ब्लॉक कार्यक्रम प्रबन्धक (बीपीएम), ब्लॉक सामुदायिक प्रक्रिया प्रबन्धक (बीसीपीएम) एवं अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को टीकाकरण के लिए उदासीन परिवारों का व्यवहार परिवर्तन के बारे में विस्तार से चर्चा की और कुछ जरूरी टिप्स भी दिये।

सीएमओ ने समस्त प्रभारी चिकित्साधिकारियों सहित एचईओ, बीपीएम और बीसीपीएम को निर्देशित किया कि किसी भी बच्चे का किसी भी उम्र का टीका छूटना नहीं चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि आशा कार्यकर्ता समय से ड्यू लिस्ट तैयार करने के लिए निर्देशित करें। एएनएम और संबन्धित अधिकारी को चिन्हित बच्चों की ड्यू लिस्ट दें जिससे टीकाकरण दिवस पर उनका शत-प्रतिशत टीका लग सके। साथ ही अगले टीका के बारे में भी माताओं को पहले से अवगत कराएं । इसके अलावा बीआरटी का कार्य है कि वह बच्चों पर होने वाले प्रतिकूल प्रभाव के बारे जानकारी रखे औरस समय समय पर फॉलो अप और फीडबैक लेती रहे।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ निकुंज कुमार वर्मा ने बताया कि जन्म से लेकर दो साल तक के बच्चों को सभी प्रकार के टीके लगवाना जरूरी है क्योंकि इसी समय बच्चों में #रोग_प्रतिरोधक क्षमता का सर्वांगीण ब्विकस होता है और उन्हें विभिन्न बीमारियों से लड़ने की क्षमता मिलती है। उन्होने पाँच साल में सात बार टीकाकरण जरूरी को लेकर चर्चा की। उप जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ वाईबी पाठक* ने बच्चों को विभिन्न बीमारियों से बचाने वाले समस्त टीकाकरण के बारे में जानकारी दी।

वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ सुनील गुप्ता और डॉ एके पांडे ने बताया कि जनपद में कुछ परिवार ऐसे भी हैं जो मिथक, भ्रांतियों एवं जानकारी के अभाव से बच्चों का टीकाकरण नहीं कराते हैं। ऐसे परिवारों को चिन्हित कर बीआरटी, प्रभावशाली व्यक्तियों, धर्मगुरुओं, ग्राम प्रधान, पार्षद आदि की मदद से टीकाकरण के लिए उन्हें प्रेरित किया जा रहा है। जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी हरिवंश यादव ने आशा कार्यकताओं को संचार योजना बनाने को लेकर चर्चा की।

उन्होने कहा कि संचार योजना के लिए माताओं के साथ बैठक, आपसी संचारी, प्रभावशाली व्यक्तियों के साथ बैठक, ग्राम स्वास्थ्य स्वच्छता समिति की बैठक और अंत में माइकिंग, जागरूकता, प्रचार-प्रसार आदि जरूरी है। इसके साथ ही प्रभारी चिकित्सा अधिकारी, एचईओ, बीपीएम, बीसीपीएम व एएनएम के साथ मासिक और साप्ताहिक बैठक भी करना आवश्यक है।

यूनिसेफ के ज़ोनल ऑफिसर डॉ मनोज कुमार सिंह, डॉ शाहिद और डब्ल्यूएचओ की डॉ सतरुपा ने समुदाय स्तर पर परिवारों की ओर से पूंछे जाने वाले सवालों और उनके जवाबों के बारे में विस्तार से चर्चा की। बताया कि #टीकाकरण क्यों जरूरी है, टीकाकरण नहीं लगवाने से क्या नुकसान है, टीका लगने के बाद प्रतिकूल प्रभाव, धार्मिककारण, गंभीर रूप से बीमार बच्चे का टीका न लगवाना आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

साथ ही टीकाकरण के बाद चार संदेशों के बारे में विशेष जोर देने के बारे में भी बताया गया। माताओं को यह जरूर बताना चाहिए कि आज उसके बच्चे को कौन सा और किस बीमारी से बचाव का टीका लगा है। दूसरा, टीके का क्या प्रतिकूल प्रभाव होगा । तीसरा, अगला टीका कब और किस स्थान पर लगेगा और चौथा, टीकाकरण कार्ड सुरक्षित रखते हुए अगली बार जरूर साथ लाएं।

रिपोर्ट-संजय गुप्ता

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