राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री किसान निधि की सालाना राशि ₹6000 को बढ़ाकर ₹12000 करने और किसान क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने व ब्याज दर 1% करने के साथ-साथ किसानों के सभी प्रकार के कर्ज पर वसूली एक वर्ष के लिए स्थगित करने की मांग की है|
आज लखनऊ में जारी बयान में दुबे ने कहा कि लॉकडाउन बढ़ने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को लेकर किसान परेशान है क्योंकि पहले बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और आंधी की मार के बाद अब कोरोना वायरस के प्रकोप से किसान बर्बादी के कगार पर है| किसानों को मजदूर न मिलने और बंदी के कारण फसल को मंडियों तक पहुंचाने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है|
ऐसे में अगर किसानों और मजदूरों के लिए विशेष पैकेज की व्यवस्था ना की गई तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा जाएगी| उन्होंने कहां कि देश की मजबूती के लिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था का मजबूत होना बहुत आवश्यक है|
उन्होंने कहा की बाजार में कच्चा तेल सस्ता होने के बावजूद डीजल व रासायनिक उर्वरक के दाम सस्ते हो जाने चाहिए थे परन्तु दाम कम नही हुए सरकार किसानों की बेहतरी के लिए डीजल भाव में 10 रुपये प्रति लीटर एवं पोटाश और डीएपी खाद पर 25% की छूट की घोषणा करें तथा रवी की सारी फसलों की सरकारी खरीद करने के साथ-साथ 200रुपये प्रति क्विंटल बोनस भी देने की घोषणा करें |
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के चलते गन्ना व दूध किसान दोनों की स्थिति दयनीय हो गई है होटल रेस्टोरेंट बंद और शादी समारोह स्थगित हो जाने के कारण किसानों का दूध बिक नहीं पा रहा है और गन्ना खेतों में ही खड़ा है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति दयनीय हो रही है| उन्होंने सरकार से किसानों के दूध व गन्ने की सरकारी खरीद कराने की मांग करते हुए कहा कि सरकार गन्ना किसानों का बकाया 15000 करोड रुपए का भुगतान भी अविलंब कराने की व्यवस्था करें|