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FATF पाक को काली सूची में डाल सकता है,आतंकवाद के खिलाफ नहीं उठाए कदम

पाकिस्तान को अक्टूबर में बड़ा झटका लग सकता है। माना जा रहा है कि पहले ही संदिग्ध सूची में डाले जा चुके पाकिस्तान को अगले कुछ दिनों में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ब्लैकलिस्ट कर सकता है। पाकिस्तान के एक अधिकारी के हवाले से मीडिया में छपी खबरों में कहा गया है – इस हफ्ते बैंकॉक में एशिया पैसेफिक ज्वाइंट ग्रुप ने पाकिस्तान के मूल्यांकन के बाद पाया है कि वह उनकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है। इस अधिकारी ने बताया कि ग्रुप ने काफी जटिल सवाल पूछे और ऐसा लगता नहीं है कि वह पाकिस्तान के जवाबों से संतुष्ट है।

दरअसल, आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई करने में असफल रहने और टेरर फंडिंग के मामले में कोई खास प्रगति नहीं होने के बाद FATF अब पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डाल सकता है। जून 2018 में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ‘ग्रे’ लिस्ट में डाल दिया था। इसके साथ ही पाकिस्तान को 15 महीनों की मोहलत दी गई थी, ताकि वह 27-प्वाइंट के एक्शन प्लान को लागू कर सके, जिसकी मियाद अक्टूबर में खत्म हो रही है। इसमें असफल होने पर पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट में डालने के साथ ही उस पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।

अगस्त 2019 में FATF की सब्सिडरी बॉडी- द एशिया पैसेफिक ग्रुप ने तय मानकों को पूरा करने में विफल होने पर पाकिस्तान को इन्हैंस्ड फॉलो-अप लिस्ट में डाल दिया था। पाकिस्तान अपने कानूनी और वित्तीय प्रणालियों के लिए तय किए गए 40 मानकों में से 30 को पूरा करने में असफल रहा। इसके अलावा टेरर फंडिंग के खिलाफ सुरक्षा उपायों के लिए तय किए गए 11 मापदंडों में से 10 को पाकिस्तान पूरा नहीं कर सका। लश्कर ए तोइबा, जैश ए मोहम्मद, हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी संगठनों के साथ सह-भागिता होने की वजह से पाकिस्तान FATF के रडार में आ गया था। इसके अलावा हाफिज सईद और अजहर मसूद जैसे आतंकी या तो नियमित रूप से दान मांगते हुए दिखते हैं या वे कश्मीर में जिहाद की आवाज बुलंद करते दिखते हैं।

इसे देखते हुए जून में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा था कि वह एक्शन प्लान को लागू करने में तेजी दिखाए या फिर ब्लैकलिस्ट होने की संभावना के लिए तैयार हो जाए। पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए विदेश से अब आर्थिक मदद हासिल करना आसान नहीं होगा। साथ ही विदेशी कंपनियां भी वहां अब निवेश करने से हिचकिचाएंगी। बताते चलें कि अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड के दबाव के बाद फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) पाकिस्तान को जून 2018 से संदिग्ध सूची में डाल दिया था।

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