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गलगोटियास यूनिवर्सिटी में सिखाईं फॉल्टी पोस्चर उपचार की टेक्निक्स

मुरादाबाद। गलगोटियास यूनिवर्सिटी, ग्रेटर नोएडा के स्कूल ऑफ एलाइड हैल्थ साइंसेज के डीन डॉ शगुन अग्रवाल ने कहा, बैठने और कार्य करने के गलत तरीकों से शरीर का एर्गोनॉमिक्स और पोस्चर बिगड़ता है। इसे फॉल्टी पोस्चर- दोषपूर्ण आसन कहा जाता है। फॉल्टी पोस्चर से मांसपेशियों में विकृति हो जाती है। मांसपेशियां तंग या कमजोर हो जाती हैं, जो बाद में दर्द का कारण बन जाता है।

इस प्रकार के फॉल्टी पॉस्चर और मांसपेशियों के दर्द के इलाज के लिए डॉ शगुन ने विभिन्न तकनीकों के बारे में फिजियोथैरेपी स्टुडेंट्स को गहनता से समझाया। उन्होंने विपरीत मांसपेशियों के स्तर को बराबर करने की तकनीक- एमईटी, मांसपेशियों के तनाव और फॉल्टी पोस्चर को ठीक करने की तकनीक-पीआईआर के संग-संग पीएफएस तकनीक, साइरिएक्स सरीखी तकनीक का डेमो देकर स्टुडेंट्स को सिखाया।

गलगोटियास यूनिवर्सिटी में सिखाईं फॉल्टी पोस्चर उपचार की टेक्निक्स

डॉ शगुन तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के फिजियोथैरेपी विभाग की ओर से रीसेंट एडवांसेस एंड एप्रोचेज इन ट्रीटमेंट ऑफ मस्कुलोस्केलेटल कंडीशन पर आयोजित दो दिनी वर्कशॉप में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इससे पहले डीन डॉ शगुन अग्रवाल ने बतौर मुख्य अतिथि, फिजियोथैरेपी विभाग की एचओडी डॉ शिवानी एम कौल आदि ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके वर्कशॉप का शुभारम्भ किया। इस मौके पर मुख्य अतिथि को पौधा भेंट कर गर्मजोशी से स्वागत किया गया, जबकि अंत में स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया गया।

डॉ शगुन अग्रवाल बोले, निरंतर अभ्यास से ही बौद्धिक विकास संभव है। स्टुडेंट्स इन तकनीकों का जितना प्रयोग मरीजों पर करेंगे उतना ही लाभ मरीजों को होगा और स्टुडेंट्स का अनुभव बढ़ेगा। व्यस्तता के कारण शारीरिक सक्रियता में कमी आई है, जिसका शरीर पर कुप्रभाव भविष्य में दिखाई देता है। उन्होंने शरीर में आए दोषपूर्ण पोस्चर का चिकित्सीय मूल्यांकन के संग-संग प्रेक्षण करना भी सिखाया।

फिजियोथैरेपी विभाग की एचओडी डॉ कौल ने उम्मीद जताई कि डॉ शगुन अग्रवाल भविष्य में भी टीएमयू फिजियोथैरेपी के स्टुडेंट्स का समय-समय पर मार्गदर्शन करते रहेंगे। वर्कशॉप में डॉ शाजिया मट्टू, डॉ हरीश शर्मा, डॉ नन्दकिशोर, डॉ हिमानी, डॉ शिप्रा गंगवार, डॉ समर्पिता सेनापति, डॉ कोमल नागर, डॉ सोनम निधि, डॉ प्रिया शर्मा, डॉ रंजीत तिवारी, डॉ कामिनी शर्मा, डॉ नीलम चौहान के संग-संग बीपीटी और एमपीटी के करीब 100 से अधिक स्टुडेंट्स मौजूद रहे।

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