समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में भाजपा की अंधेर नगरी के चार साल चौपट राज के रहे हैं। सरकार हर मोर्चे पर पूरी तरह विफल रही है और जनता का हर वर्ग बुरी तरह त्रस्त रहा है। थानों, तहसीलों में बिना रिश्वत दिए काम न होने की शिकायतें तो भाजपा कार्यसमिति की बैठकों में ही सुनाई दी। किसान आंदोलित हैं, नौजवान बेरोजगारी का दर्द झेल रहे हैं। अपराधी बेखौफ है। अवैध खनन, जहरीली शराब पर कोई रोक नहीं। मंहगाई और भ्रष्टाचार चरम पर है। चार साल जैसा अंधेर कभी किसी ने न देखा न सुना होगा।
भाजपा की 4 साल की उपलब्धियों में यह भी है। भाजपा के वैचारिक प्रदूषण से उत्तर प्रदेश में सद्भाव बिगड़ा है। दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में 22 भारत में है जिसमें 11 शहर उत्तर प्रदेश के हैं। लखनऊ, गाजियाबाद, कानपुर इनमें सबसे ज्यादा विश्वस्तर पर प्रदूषित शहर है। समाजवादी पार्टी की सरकार के समय गोमती रिवरफ्रंट, जनेश्वर मिश्र पार्क, लॉयन सफारी, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, मेट्रो, साइकिल ट्रैक आदि पर्यावरणीय काम भाजपा ने न रोके होते तो आज भाजपा को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बदनामी न उठानी पड़ती। प्रदूषित शहर भाजपा ने संसदीय गरिमा, राजनैतिक शिष्टाचार और शालीनता की सभी हदें तोड़ दी हैं। अमर्यादित भाषा, अश्लील व्यवहार और संवेदनहीनता के साथ भाजपा सरकार ने राजनीति की शुचिता को भी लांछित किया है।
किसान को चौतरफा मार
अर्थव्यवस्था की रीढ़ प्रदेश का किसान चौतरफा मार झेल रहा है। उसको धान और गेंहूं का एमएसपी मूल्य मिला ही नहीं, कर्ज माफी के दावे झूठे साबित हुए। आय दुगनी करने के वादे की याद अब वादा करने वालों को भी नहीं आती है। लागत का ड्योढ़ा दाम किसान को क्या मिलेगा जब गन्ना किसानों को बकाया 10 हजार करोड़ ही नहीं मिला? किसान एमएसपी की अनिवार्यता और तीन कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर लगभग चार माह से आंदोलित है। भाजपा सरकार गूंगी-बहरी बनी हुई है। बदहाल किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं।
शराब के अवैध धंधे को मिला विस्तार
भाजपा राज में शराब के अवैध धंधे को खूब विस्तार मिला है। प्रयागराज, उन्नाव, फतेहपुर, कानपुर, लखनऊ, प्रतापगढ़, मथुरा तथा कई अन्य जनपदों में गत 4 वर्षों में जहरीली शराब पीकर सैकड़ों लोगों की मौतें हो गईं। अवैध खनन माफियाओं ने अपने धंधे के बीच में आए सिपाहियों और अफसरों तक पर गाडि़यां चढ़ाकर जानें ले ली। शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक्सप्रेस-वे और ऊर्जा के क्षेत्र में भाजपा सरकार की 4 साल में एक भी उपलब्धि नहीं रही सिवा उद्घाटन का उद्घाटन और शिलान्यास का शिलान्यास करने, अथवा एमओयू का एमओयू करने के। समाजवादी पार्टी के काम को अपना बताने में भाजपा को कभी संकोच नहीं हुआ। समाजवादी पार्टी की सरकार के समय आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे बना तथा समाजवादी पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की जमीन खरीद एवं निर्माण कार्य की प्रक्रिया प्रारम्भ हो गई थी। वह अभी तक बनकर तैयार नहीं हुआ।
अस्पतालों में डाक्टरों, दवाओं का अकाल
मेडिकल कालेज और एम्स बनाने के दावे जमीन पर नहीं उतरे। स्वास्थ्य के क्षेत्र में बदहाली का आलम यह है कि अस्पतालों में डाक्टरों, दवाओं का अकाल पड़ा है। गरीब मरीज की सुनवाई नहीं। समाजवादी पार्टी की सरकार में गम्भीर रोगों-किडनी, लीवर, हार्ट, कैंसर के मुफ्त इलाज की व्यवस्था थी। मरीजों के लिए 108 एम्बूलेंस सेवा, प्रसूताओं के लिए 102 सेवा शुरू की थी। प्रदेश में भाजपा राज में एक यूनिट बिजली का उत्पादन नहीं हुआ। समाजवादी पार्टी के समय विद्युत केन्द्र बने, पारेषण, वितरण व्यवस्था सुधरी, सोलरप्लांट स्थापित हुए। भाजपा ने तो स्मार्ट मीटर खरीद में ही घोटाला कर दिया।
महिलाओं के प्रति हिंसा में अव्वल
कानून व्यवस्था के हालात तो प्रदेश में दयनीय से भी दयनीय हैं। महिलाओं और बच्चियों की इज्जत रोज ही लुटती है। महिलाओं के प्रति हिंसा में उत्तर प्रदेश नम्बर एक पर हैं। वर्ष 2019 में लखनऊ में 3390 मामले दर्ज हुए बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले बताते है कि भाजपा का ऐंटी रोमियों स्क्वाड, मिशन शक्ति, पिंक बूथ जैसे अभियान पूरी तरह विफल है। भाजपा सरकार फर्जी एनकाउण्टर और हिरासत में मौतों को लेकर बदनाम है समाजवादी पार्टी की सरकार के समय में यूपी डायल 100 अपराध नियंत्रण के लिए और 1090 महिला सम्बंधी अपराधों पर रोक के लिए प्रभावी तंत्र थे। आज हत्या लूट, अपहरण की तमाम घटनाएं सत्ता संरक्षित अपराधियों द्वारा की जा रही हैं।
भाजपा सरकार शुरू से बदले की भावना से काम कर रही है। जौहर विश्वविद्यालय जैसे उच्चस्तरीय शिक्षा संस्थान को उजाड़ने के साथ उसने संस्थापक सांसद मोहम्मद आजम खां पर भी तमाम मुकदमे लगा दिए हैं। उनकी विधायक पत्नी श्रीमती तंजीन फातिमा और पुत्र अब्दुल्ला आजम को भी जेल में रखा गया। कोरोना संकट काल में जनता की मदद को आगे आए समाजवादी पार्टी कार्यकर्ताओं पर दस हजार से ज्यादा फर्जी मुकदमें लगा दिए गए हैं।
भाजपा ने अपने 4 सालों की सरकार में संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया है। नेताओं पर झूठे केस, जांच एजेंसियों के छापे के साथ शारीरिक हमले भाजपा की हिंसक राजनीतिक सोंच के दुष्परिणाम है। लॉकडाउन में राज्य में करोड़ों बेरोजगार हो गए, पलायन में श्रमिकों की जानें चली गई, गर्भवतियों के रास्ते में प्रसव हो गए, आपदाग्रस्तों को मदद न मिली।
नौजवान को विज्ञापनों और होर्डिंगो में मिला रोजगार
नौजवान को सरकारी विज्ञापनों और होर्डिंगो में ही रोजगार मिला है वर्ना तो भाजपा को वोट देने के बदले युवाओं को सिर्फ लाठियां मिली हैं। आंकड़ों में प्रदेश में बेकारी दर 2018 में 5.92 प्रतिशत थी जो 2019 में 9.9 प्रतिशत हो गई। भाजपा सरकार समझती हैं कि वह अपने कुप्रचार से जनता को धोखा दे सकती है। वर्ष 2020-21 में सरकार ने अपना बेसुरा राग और विकृति के विज्ञापनों पर सैकड़ों करोड़ रूपये का सरकारी अपव्यय कर दिया। विकास के विज्ञापनी दावे टीवी स्क्रीन पर कोई प्रभाव नहीं कर पा रहे हैं। जनता जान गई है कि भाजपा के पास जनहित की न कोई योजना है और नहीं जनता के प्रति कोई संवेदना है। लोग अब उसकी झूठ और नफरत की राजनीति से भी ऊब गए है। चार साल में समाज के सभी वर्गों के लोगों को सिर्फ प्रताड़ना, धोखा और परेशानी ही मिली है। प्रदेश को बदनाम करने में भाजपा ने कोई कसर नहीं छोड़ी है।