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CMS में आयोजित “20वेंअन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन” का चौथा दिन

लखनऊ। सिटी मोन्टेसरी स्कूल, कानपुर रोड ऑडिटोरियम में आयोजित हो रहे ‘20वें अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन’ के चौथे दिन का उद्घाटन आज मुख्य अतिथि डा. महेन्द्र सिंह, कैबिनेट मंत्री, जल शक्ति, उ.प्र. ने दीप प्रज्वलित कर किया, जबकि वीरेन्द्र कुमार, डायरेक्टर-जनरल, आरडीएसओ ने विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारकर समारोह की गरिमा को बढ़ाया। इस अवसर पर विभिन्न धर्मावलम्बियों राजेन्द्र चन्द्रा (बौद्ध धर्म), फादर बिशप जेराल्ड जॉन मथाइस (ईसाई धर्म), मधु स्मिता दास (हिन्दू धर्म), मौलाना कल्बे सिब्तेन साहिब (इस्लाम धर्म), मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महल (इस्लाम धर्म), शैलेन्द्र जैन (जैन धर्म) एवं हरपाल सिंह जग्गी (सिख धर्म) आदि की उपस्थिति ने धार्मिक एकता अभूतपूर्व दृश्य उपस्थित किया।

इससे पहले सीएमएस छात्रों ने विश्व के ढाई अरब बच्चों का प्रतिनिधित्व करते हुए विश्व भर से पधारे न्यायमूर्तियों के समक्ष ‘एकता व शान्ति से परिपूर्ण विश्व व्यवस्था’ की अपील प्रस्तुत की, जिसका विश्व भर से पधारे न्यायविदों व कानूनविदों ने जोरदार समर्थन किया। विदित हो कि सीएमएस के तत्वावधान में 8 से 12 नवम्बर आयोजित पांच दिवसीय ‘विश्व के मुख्य न्यायाधीशों के 20वें अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ में विभिन्न देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, पार्लियामेन्ट के स्पीकर, न्यायमंत्री, इण्टरनेशनल कोर्ट के न्यायाधीश, विश्व प्रसिद्ध शान्ति संगठनों के प्रमुखों समेत 71 देशों के 290 से अधिक मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश व कानूनविद् प्रतिभाग कर रहे हैं।


इस अवसर पर अपने संबोधन में मुख्य अतिथि डा. महेन्द्र सिंह ने कहा कि यह सम्मेलन बच्चों के भविष्य व उनकी भलाई को ध्यान में रखते हुए आयोजित किया जा रहा है, मुझे विश्वास है कि सभी के सहयोग व प्रयास से एकता, शान्ति व सौहार्द का वातावरण बनेगा और भावी पीढ़ियों को स्वच्छ वातावरण, शान्तिपूर्ण विश्व व्यवस्था एवं सुरक्षित भविष्य का अधिकार अवश्य मिलेगा।

प्रातःकालीन सत्र के प्लेनरी सेशन में बोलते हुए मोजाम्बिक सुप्रीम कोर्ट के डिप्टी चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति जोओ एन्टोनियो बापिस्टा बैरो ने कहा कि विश्व के सभी बच्चों की जरूरतें समान होती हैं जैसे कि शिक्षा, सुरक्षा इत्यादि। यदि समाज विघटित होता है, तो बच्चे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। मेडागास्कर सुप्रीम कोर्ट की प्रीमियर प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति नेल्ली रोकोटोबे ने कहा कि विश्व संसद सम्भव है लेकिन अन्तर्राष्ट्रीय कानून के नियमों को सामाजिक मानदण्डों के रूप में परिवर्तित किया जाना चाहिए जो कि सामाजिक राज्य बनाने वाले सभी राज्यों, व्यक्तियों और कानूनी संगठनों पर लागू हो। कांगो के कान्स्टीट्यूशनल कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति नोएल किलोम्बो नगोजी माला ने कहा कि बच्चों का हित सभी संस्थाओं का मुख्य मुद्दा होना चाहिए क्योंकि धरती की भलाई उन्ही के सुरक्षित भविष्य द्वारा सुनिश्चित की जा सकती है।

इरीटिया के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मेन्केरियस बेराकी ने कहा कि ‘अन्तर्राष्ट्रीय कानून व्यवस्था’ लागू करना समय की मांग है क्योंकि इसी व्यवस्था के जरिए विश्वव्यापी समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है। ऐसे समय में जब विश्व के विभिन्न हिस्सों में बच्चों की सुरक्षा, उम्मीदों व उनकी जिन्दगियों पर खतरा मंडराता दिखाई दे रहा है, यह सम्मेलन विश्व के बच्चों की उम्मीदों पर खरे उतरने को प्रेरित करता है। ट्यूनीशिया सुप्रीम कोर्ट के फर्स्ट प्रेसीडेन्ट न्यायमूर्ति ताएब रैचेड ने कहा कि एकता व शान्ति स्थापना के लिए सबसे जरूरी है कि मानव अधिकारों का पूरा सम्मान हो। युगांडा के डेप्युटी एटार्नी जनरल रूकटाना मवेसिग्वा ने कहा कि शिक्षा का अधिकार सभी बच्चों को मिलना ही चाहिए। उन्हें सुरक्षित एवं सुखद वातावरण प्रदान करना हम वयस्क लोगों का कर्तव्य है, ये वो स्वयं से नहीं पा सकते।

आज अपरान्हः सत्र में एक प्रेस कान्फ्रेन्स में मुख्य न्यायाधीशों के विचारों का निचोड़ पत्रकारों के समक्ष प्रस्तुत करते हुए सम्मेलन के संयोजक डा. जगदीश गांधी, प्रख्यात शिक्षाविद् व संस्थापक, सीएमएस ने बताया कि लगभग सभी मुख्य न्यायाधीशों, न्यायाशीशों व कानूनविदों की आम राय रही कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 51(सी) विश्व की समस्याओं का एक मात्र समाधान है। भारतीय संविधान विश्व के अकेला ऐसा संविधान है जो पूरे विश्व को एकता के सूत्र में जोड़ने की बात कहता है। उन्होंने बताया कि सभी मुख्य न्यायाधीशों ने इस बात को माना कि वे मानवता की आवाज और बुलन्द कर सकते हैं परन्तु अन्तर्राष्ट्रीय कानून तभी प्रभावशाली रूप से लागू किया जा सकता है जब राजनीति से जुड़े लोग भी हमारे साथ मिलकर एक विश्व संसद बनाने का समर्थन दें।

सीएमएस के मुख्य जन-सम्पर्क अधिकारी हरि ओम शर्मा ने बताया कि 71 देशों से पधारे न्यायविद्ं व कानूनविद् व अन्य प्रख्यात हस्तियों के सम्मान में आयोजित रंगारंग सांस्कृतिक संध्या का उद्घाटन आज सायं मुख्य अतिथि केशव प्रसाद मौर्य, उप-मुख्यमंत्री, उ.प्र. ने सीएमएस कानपुर रोड ऑडिटोरियम में किया। इस अवसर पर अपने उद्बोधन में मौर्य ने सम्मेलन की सराहना करते हुए कहा कि निश्चित ही दुनिया भर से पधारे न्यायविद्ं व कानूनविद् का यह सामूहिक प्रयास अवश्य रंग लायेगा और हमारी आने वाली पीढ़ियों सुरक्षित व सुखमय वातावरण में सांस ले पायेंगी।

श्री शर्मा ने बताया कि यह पांच दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन कल 12 नवम्बर को सम्पन्न हो रहा है। पूरे विश्व में अपनी तरह के इस इकलौते, ऐतिहासिक व अनूठे सम्मेलन का उद्घाटन उप-मुख्यमंत्री डा. दिनेश शर्मा द्वारा किया गया था जबकि सम्मेलन के प्रथम सेशन का शुभारम्भ राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने किया। इसके अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने न्यायविद्ं व कानूनविद् के सम्मान में रात्रिभोज का आयोजन किया।

श्री शर्मा ने बताया कि दुनिया भर के न्यायविद्ं व कानूनविद् द्वारा लगातार चार दिनों तक चले गहन चिंतन-मनन व मंथन का निष्कर्ष कल 12 नवम्बर, मंगलवार को अपरान्हः 1.15 बजे होटल क्लार्क अवध में आयोजित एक प्रेस कान्फ्रेन्स में ‘‘लखनऊ घोषणा पत्र’’ के रूप में जारी किया जायेगा। इण्टरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस, नीदरलैण्ड के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी विभिन्न देशों से पधारे न्यायविद्ं व कानूनविद् व अन्य प्रख्यात हस्तियों की ओर से ‘लखनऊ घोषणा पत्र’ जारी करेंगे। इससे पहले ये सभी प्रख्यात हस्तियां लखनऊ भ्रमण पर निकलेंगे एवं लखनऊ की ऐतिहासिक इमारतों के अवलोकन के अलावा यहां की गंगा-जमुनी तहजीब को नजदीक से अनुभव करेंगे।

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