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प्रदर्शनी में संस्कृति की सुगंध

भारत कृषि और संस्कृति की यात्रा सदैव गतिमान रही है. भूमि और गौ को माता माना गया। भगवान श्री कृष्ण गोवर्धन का व्यापक संदेश देते है। पृथ्वी सूक्ति के माध्यम से प्रकृति के संरक्षण का शाश्वत विचार दिया गया। यह आज भी उतना ही प्रासंगिक है।

प्रदर्शनी में संस्कृति की सुगंध

कृषि और ग्रामीण जीवन से जुड़े लोक संगीत की विशाल धरोहर है। फ़सल पकने और उसे घर तक लाना भी यहां उत्सव बन गया। लखनऊ राजभवन की फल शाक भाजी पुष्प प्रदर्शनी में कृषि के साथ संस्कृति की भी सुगंध थी।

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यहां भगवान श्री कृष्ण, श्री गणेश की सुन्दर विशाल पेंटिंग प्रदर्शित की गई थी। इसके अलावा फ़ूलों से श्री शिव शंभु, श्री राम दरबार, श्री हनुमानजी, श्री गणेश, ॐ और स्वास्तिक की कलाकृति लगाई गई थी।

रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री

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