विधान परिषद क चुनाव लड़य वाले उम्मीदवारन ख़ातिन इ पँचायत प्रतिनिधि देवतुल्य होइगे रहयं। पखवारा भर दामाद तिना सब जने क सेवा कीनि गय। सब जने खूब दावत उड़ाइन अउ सामान-सट्टा पाइन। कुछु जिलन म तौ नकद-नारायनव बांटा गवा। शनिचर का वाट परे क बादि सब जने पइदर होइगे। अब कौनव पुछि नाय रहा कि तुम कउने ख्यात क मूरी आव।
- Published by- @MrAnshulGaurav
- Saturday, April 09, 2022
ककुवा ने प्रपंच की शुरुआत करते हुए कहा- काल्हि तलक यूपी क परधान, सभासद, क्षेत्र अउ जिला पंचायत सदस्य खूब चर्र काटिन। विधान परिषद क चुनाव लड़य वाले उम्मीदवारन ख़ातिन इ पँचायत प्रतिनिधि देवतुल्य होइगे रहयं। पखवारा भर दामाद तिना सब जने क सेवा कीनि गय। सब जने खूब दावत उड़ाइन अउ सामान-सट्टा पाइन। कुछु जिलन म तौ नकद-नारायनव बांटा गवा। शनिचर का वाट परे क बादि सब जने पइदर होइगे। अब कौनव पुछि नाय रहा कि तुम कउने ख्यात क मूरी आव।
भइय्या, जब तुम उम्मीदवार ते अपनी वाट क बदले गिफट अउ रुपया-पइसा लय ल्याहौ, तौ तुमका चुनाव क बादि को पूछि? जो-जो बिना कुछु लेहे वाट दिहिस हय, वहिका सम्मान हमेशा होई। एमएलसी निःस्वार्थ भाव त वाट देय वाले पंचायत प्रतिनिधियन का तवज्जो देहैं। उनके गांवन का विकास पहिले करिहैं। नेतन क सब गरियायवत हयँ।
मुदा, नेतन क पीड़ा कोऊ नाय द्याखत। मतदाता अउ कार्यकर्ता चुनाव म नेतन क खून पी लेत हयँ। सोचय वाली बाति या हय कि जब करोड़न रूपया स्वाहा कइके कोई चुनाव जीती तौ मोटी रकम कमइबै करी। काहे ते वहिका फिरि चुनाव लड़य क हय।
चतुरी चाचा अपने प्रपंच चबूतरे पर पालथी रमाये थे। पुरई पशुओं को चारा-पानी करने में तल्लीन थे। आज सुबह धूप चटक थी। पछुवा बराबर डोल रही थी। इससे गर्मी ज्यादा नहीं लग रही थी। गांव के बच्चे चबूतरे से थोड़ी दूर पर लुकी-लुकव्वर खेल रहे थे। मुंशीजी, कासिम चचा, ककुवा व बड़के दद्दा यूपी के विधान परिषद चुनाव को लेकर गुफ़्तगू कर रहे थे। मेरे चबूतरे पर पहुँचते ही ककुवा ने प्रपंच का आगाज कर दिया।
ककुवा का कहना था कि ग्रामसभा से लोकसभा तक के चुनाव में मतदाता वोट के बदले कुछ न कुछ पाना चाहता है। इस वजह से चुनाव बड़े महंगे हो गए हैं। आम आदमी चुनाव लड़ने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाता है। मतदाता के रूप में चाहे आम आदमी हो या फिर निर्वाचित जनप्रतिनिधि हो। वोट देने के एवज में कुछ न कुछ पाने की लालसा रहती है। चाहे वह चुनाव ग्राम प्रधान का हो या ब्लॉक प्रमुख हो। चाहे वह चुनाव सदस्य विधान परिषद अथवा राज्यसभा का हो। अब आम जन और जनप्रतिनिधि में कुछ ही लोग अपवाद बचे हैं, जो अपना वोट बिना किसी प्रकार का व्यक्तिगत लाभ लिए डालते हैं। विधान परिषद की स्थानीय निकाय सीटों के चुनाव में भी यही देखने को मिला है। पंचायत प्रतिनिधियों ने खूब महंगे-महंगे गिफ्ट बटोरे। कुछ जिलों में एमएलसी प्रत्याशी से वोट के बदले रुपए लिये गए।
चतुरी चाचा ने ककुवा की बात को सोलह आने सच्ची बताते हुए कहा- ककुवा, याक बात बताई। ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत अउ जिला पंचायत चुनाव की तिना विधान परिषद अउ राज्यसभा केरे चुनाव म बाहुबल, धनबल अउ सत्ता बल केरा बोलबाला रहत हय। इ सब चुनाव म सामान्य आदमी बहुतै कम सफल होत हय। लोग मुर्गा-दारू क दम पय परधान चुन लीन जात हयं। लोग सदस्यन क खरीद कय ब्लाक प्रमुख अउ जिला पंचायत अध्यक्ष बनत हयँ। जउनी पारटी सरकार होत हय, वहिके सबसे जादा ब्लाक प्रमुख अउ जिला पंचायत अध्यक्ष बनति हयँ। यही तिना विधान परिषद अउ राज्यसभा क चुनाव होते हयँ।
जिहकी सरकार वहिके एमएलसी चुने जात हयँ। सदस्यन का महंगे उपहार अउ रुपया दयिके अपने पक्ष म करय केरी परंपरा बड़ी पुरान हय। अपनी यूपी म द्याखव जब बसपा सरकार रहय, तब सगरे बसपाई एमएलसी चुने गए रहयं। जब सपा सरकार आयी तौ सारे सपाई एमएलसी बने रहयं। अब भाजपा क एमएलसी बनि हयँ। स्थानीय निकाय केरी कुल 36 सीटन म नौ एमएलसी निर्विरोध बनिगे। काल्हि 27 सीटन प मतदान होय गवा। यहिमा एक-दुई छोड़िके सब भाजपाई एमएलसी बनि हयँ। यहिका परिणाम 12 अप्रैल का आयी। तब सब जने देखि लेहौ।
इसी बीच चंदू बिटिया जलपान लेकर आ गयी। आज जलपान में बरिया (दही बड़ा) और शिकंजी थी। सबने बरिया खाकर ताजा पानी पीया। फिर शिकंजी के साथ प्रपंच आगे बढ़ा।
मुंशीजी ने विषय परिवर्तन करते हुए कहा- इस समय विश्व पटल पर रूस-यूक्रेन महायुद्ध को लेकर गहरी चिंता है। रूस यूक्रेन को घुटने पर लाने के लिए उसके शहरों को खंडहर में बदलता जा रहा है। आधे से ज्यादा यूक्रेन मिट्टी में मिल चुका है। तमाम लोग बेमौत मारे जा चुके हैं। लाखों लाख यूक्रेनी नागरिक अपना देश छोड़ने पर मजबूर हो गए। कई लाख बच्चे और महिलाएं शरणार्थियों के जीवन जी रहे हैं। इसमें रूस को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं, यूक्रेन नाटो देशों की सह पर अड़ा है।
किसी को उम्मीद नहीं थी कि यह जंग इतनी लंबी खिंचेगी। तीसरे विश्व युद्ध की आशंका बलवती होगी। रूस ने भी नहीं सोचा होगा कि उसे यूक्रेन से महीनों युद्ध लड़ना पड़ेगा। अभी देखो कबतक यह जंग चलती है। दोनों देशों की राजहठ कहाँ तक चलती है? दरअसल, अमेरिका नाटो और यूरोपीय यूनियन के देशों के साथ मिलकर रूस को कमजोर करना चाहता है। इसलिए यूक्रेन को अपने साथ मिलाया है। रूस को यह पसन्द नहीं है कि अमरीका उसकी चौखट पर दस्तक दे। रूस-यूक्रेन युद्ध से पूरे विश्व को सीखना चाहिए।
कासिम चचा इस पर बोले- रूस-यूक्रेन युद्ध तो अमेरिका के इशारे पर चल रहा है। यह पूरी विश्व बिरादरी जानती है। इधर, हमारे पड़ोसी मुल्क भी खासे परेशान हैं। पाकिस्तान में उथल-पुथल मची है। वहां के प्रधानमंत्री इमरान पूरी तरह जोकर बन चुके हैं। उन्हें सेना ने बड़े जतन से कुर्सी पर बैठाया था। परन्तु, इमरान सत्ता सम्भाल नहीं पा रहा है। पाकिस्तान कर्ज में डूब चुका है। पूरा देश महंगाई और बेरोजगारी से त्राहिमाम कर रहा है। सारे विपक्षी दल एकजुट होकर इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाए।
इमरान ने तब संसद को भंग करने का कायराना कदम उठा लिया। वहां के सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को संसद को भंग करने को गैरकानूनी ठहरा दिया। पाक फौज ने इमरान को बेसहारा छोड़ दिया है। बड़बोले इमरान का खात्मा अब तय है। उधर, हमारे दूसरे पड़ोसी देश श्रीलंका में बड़ी बुरी स्थिति बनी हुई है। वहां महंगाई ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। श्रीलंकाई अपने परिवार का पेट भरने के लिए जरूरी खाद्य सामग्री नहीं खरीद पा रहे हैं। वहां भुखमरी के हालात बनने लगे हैं। हमारे तीसरे पड़ोसी चीन में इन दिनों कोरोना महामारी से हाहाकार मचा है। कोरोना के नए वैरिएंट के चलते चीन के कई शहरों में लॉकडाउन हो गया है।
बड़के दद्दा ने खेती-किसानी की बात करते हुए कहा- इस बार रबी फसल बहुत अच्छी है। बस, समय से पहले प्रचंड गर्मी शुरू हो जाने से गेंहू की पैदावार पर थोड़ा सा असर देखने को मिल रहा है। गेंहू की कटाई-मड़ाई का काम जोरों पर है। गन्ने की कटाई युद्ध स्तर पर चल रही है। इस बार गन्ना मूल्य सही समय पर भुगतान हो रहा है। योगी सरकार पिछला बकाया भी दे रही है। एक अप्रैल से गेंहू का सरकारी खरीद भी हो रही है।
आलू की भी लगभग खुदाई हो चुकी है। परन्तु, पर्याप्त कोल्ड स्टोरेज न होने से हर साल की तरह इस वर्ष भी आलू भंडारण को लेकर आपाधापी रहेगी। बड़के दद्दा को बीच में रोकते हुए चतुरी चाचा ने कहा- बड़के, तुम तौ राजनीति ते खेती प आय गेव। हमेशा योगी-मोदी करत रहौ। आजु किसानी क बात कय रहे हौ। बड़के दद्दा बोले- चाचा, मेरा असली पेशा खेती ही है। राजनीति तो मेरा शौक है बस। दूसरे लोकतांत्रिक देश में रहने वाले हर नागरिक को राजनीति की एबीसीडी आनी ही चाहिए। हम सब में राजनीतिक जागरूकता होनी चाहिए। क्योंकि, राष्ट्र और समाज का भविष्य राजनीति ही तय करती है।
अंत में मैंने परपंचियों को कोरोना अपडेट देते हुए बताया कि विश्व में अबतक करीब 50 करोड़ लोग कोरोना से पीड़ित हो चुके है। इनमें तकरीबन 62 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। इसी तरह भारत में चार करोड़ 30 लाख 34 हजार से अधिक लोग कोरोना से जद आ चुके हैं। देश में अबतक करीब पांच लाख साढ़े 21 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। भारत में काफी दिनों से कोरोना नियंत्रित है। उधर, चीन में कोरोना के एक्सई नामक नए वैरिएंट ने कोहराम मचा रखा है। दक्षिण भारत में भी कुछ लोग एक्सई वैरियंट से पीड़ित हैं। देश के शत-प्रतिशत लोगों का टीकाकरण अंतिम चरण में है। देश में कोरोना की बूस्टर डोज और बच्चों को कोरोना वैक्सीन देने का कार्य भी अंतिम दौर में है। अब निजी अस्पतालों में भी बूस्टर डोज मिलने लगेगी। कोविशील्ड ने इसके लिए 600 रुपये प्रति डोज कीमत निर्धारित की है। भारत के टीकाकरण अभियान की पूरी दुनिया में तारीफ हो रही है। बहरहाल, हमें कोविड नियमों का पालन करना चाहिए। तभी हम सब कोरोना महामारी से सुरक्षित रहेंगे।
इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बेबाक बतकही के साथ फिर हाजिर रहूँगा। तबतक के लिए पँचव राम-राम!