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गरीब हैं बेपरवाह नहीं

गरीब हैं बेपरवाह नहीं

मेहनतकश हैं गुनाह नहीं।
गरीब हैं लापरवाह नहीं।।

भविष्य निधि में!
अपने ही परिधि में !!
जीवन यापन करते हैं,
बंदिश कोई कारागाह नहीं।

अर्थ मिला नया जीवन का !
टूटा गांठ रिश्तो के बंधन का !!
भरोसा अपने किस्मत पर,
ढूंढता फिरता पनाह नहीं।

बांध ली पट्टी नयन पर !
संयम रखा चयन पर !!
बारिश धूप झेला है,
भूखा पर चेहरा स्याह नहीं।

यहां गंध नाला की !
वहां सुगंध प्याला की !!
भूखे पेट नंगे पांव चलते हैं ,
फिर भी जुबां पे कराह नहीं।

शून्य जिया शून्य पिया !
जीवन ने नगण्य दिया !!
मर जाए मिट जाए ,
किसी को परवाह नहीं।

मेहनतकश हैं गुनाह नहीं।
गरीब हैं लापरवाह नहीं ।

           मनोज शाह ‘मानस’

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