जिया पाश्चात्य रंग में रंगी हुई एक बिगड़ैल लड़की थी. पिता भी उसके पहनावे और व्यवहार को गलत नहीं कहते। किन्तु माँ जरूर हमेशा आपत्ति जताती रहती। लेकिन माँ की सुनता कौन? घर में माँ पूजा पाठ करती तो वह प्रसाद भी नहीं खाती, “क्या मॉम कब तक पुरानी रीति ...
Read More »Tag Archives: वैदेही कोठारी
‘एक मछली…….देती है’
आज मीना और राधा ने शहर कॉलेज में एडमिशन लिया, दोनों बहुत ख़ुश थी, दोनों बचपन से ही गांव में एक साथ ही पली बड़ी और पढ़ी थी, दोनों के सपने भी एक जैसे ही थे, कॉलेज में प्रोफेसर बनने के, दोनों पढ़ाई लिखाई में भी होशियार थी, वह दोनों ...
Read More »आँखे
मैं अपने रिजर्वेशन कोच में बैठा, सामने वाली सीट पर कोई नहीं था। मैंने अपना लगेज व्यवस्थित रखा और मोबाइल चलाने लगा, क्यूंकि अभी गाड़ी चलने में दस मिनिट का समय था, आसपास काफ़ी शौर गुल, हो रहा था। कभी चाय वाले की आवाज़ तो कभी ठंडा गर्म,कुछ आवाजे बच्चों ...
Read More »ज्योति
ज्योति घर गृहस्थी में पूरी तरह रम चुकी थी। उसे घर परिवार का ध्यान रखना, उनकी पसंद का खाना बनाना सभी कुछ अच्छा लगता था। क्यूंकि ज्योति की काकी ने उसको आठवीं के बाद सिर्फ घर परिवार का कैसे ध्यान रखना? खाना बनाना बस इतना ही उसे सिखाया था। पढ़ाई ...
Read More »