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लक्ष्य और सफलता..

युवा देश व समाज रूपी उपवन का सौंदर्य से परिपूर्ण वह पुष्प है, जो अपनी सुगंध से दिग्-दिगंत को सुरभित कर देता है, किन्तु वर्तमान परिप्रेक्ष्य में युवा वर्ग दिग्भ्रमित हो अपने मूल उद्देश्यों, नैतिक कर्तव्यों तथा लक्ष्य ((goals) से विमुख हो, छोटे रास्तों से बड़ी मंजिल पाना चाहते हैं। आज के युवा बिना साधना, धैर्य और परिश्रम के जीवन में सफल (success) होना चाहते हैं और सफल न होने पर निराश व हताश होकर अवसाद में डूब जाते हैं। अतः जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए सर्वप्रथम लक्ष्य निर्धारण, कड़ी मेहनत और समर्पण अति आवश्यक हैं।

कहते हैं कि संसार उनके लिए रास्ता छोड़ देता है जो जानते हैं कि गंतव्य कहां है जो परिश्रम और आत्मविश्वास को लक्ष्य (goals) प्राप्ति की सीढ़ी बनाते हैं वे निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर होते रहते हैं। गंतव्य के निश्चय के बिना मार्ग पर चलना मूल्यहीनता है, विजयश्री भी उसी का वरण करती है जो लक्ष्य से भटकता नहीं है, हारकर झुकता नहीं है।

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एक बार जब मनुष्य अपना कोई लक्ष्य निर्धारित कर लेगा तब वो उसे पूरा करने के लिए प्रयत्न भी अवश्य करेगा और तब तक प्रयत्न करता रहेगा जब तक वह पूर्ण रुप से या आंशिक रूप से उस लक्ष्य तक पहुंच नहीं जाता। लक्ष्य निर्धारण व्यक्ति को योजनाबद्ध रूप से कार्य करना सिखाता है, इसके अभाव में व्यक्ति थाली के बैंगन के समान लुढ़कता रहता है। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पक्का इरादा होना जरूरी है।

लक्ष्य और सफलता

हम भगवान से प्रार्थना करते हैं या मांगते हैं वह इसलिए नहीं होता है कि हमें सब कुछ एकदम से मिल जाए बल्कि इसलिए प्रार्थना करते हैं कि उस चीज को पाने की ऊर्जा, शक्ति, विचार और योजना ईश्वर हमें प्रदान करें और हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकें। आपकी इच्छा शक्ति इतनी मजबूत होनी चाहिए कि जो भी आप करने की ठाने उसे मुश्किलों के बावजूद भी प्राप्त कर सकें इस संदर्भ में स्वरचित दो पंक्तियां कहना चाहूंगी।

हो अडिग गर लक्ष्य पर, अवरोध आ सकता नहीं।
लक्ष्य उत्कंठित रहो तुम, हार पा सकते नहीं।।

सफलता जीवन में उन्हीं को मिलती है जो विफलताओं से डरते नहीं हैं और अंत तक संघर्ष जारी रखते हैं, और अगर कभी मनोबल टूटने लगे तो उन्हें यह याद रखना होगा कि हमारे देश में बहुत से ऐसे लोग हैं जो असफल होने के बाद ही आज सफलता के शिखर पर हैं। इसलिए जीवन में सफल होने के लिए समय बर्बाद करने की बजाय अपने लक्ष्य, अपने सपनों के लिए कठिन परिश्रम करते हुए लक्ष्य को प्राप्त करें और अपने साथ अपने परिवार व राष्ट्र को गौरवान्वित करें।

       ममता त्रिपाठी

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