Breaking News

कोरोना से निर्णायक जंग के हर मोर्चे पर गोरखपुर की अहम भूमिका

कोरोना से निर्णायक जंग के हर मोर्चे पर गोरखपुर की अहम भूमिका है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि प्रबंधन में निर्णायक भूमिका निभाने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर डीआरडीओ की दवा और रक्षा मंत्री सभी यहां से ताल्लुक रखते हैं। इसे आप इत्तेफाक मान सकते हैं, लेकिन यह सच है। देश और दुनिया में जिनके कोविड प्रबंधन की चर्चा हो रही है, उनका गृह जनपद गोरखपुर ही है। मार्च 2017 में मुख्यमंत्री बनने के पहले योगी आदित्यनाथ पांच बार लगातार गोरखपुर से सांसद रह चुके हैं। कोरोना के प्रबंधन से इतर इसके इलाज के लिए डीआरडीओ ने जो पहली देशी दवा बनाई है उसमें भी गोरखपुर की अहम भूमिका है।

मसलन इसमें शामिल दो वैज्ञानिक गोरखपुर विश्वविद्यालय में पढ़े हैं। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी वहां के छात्र रह चुके हैं। डीआरडीओ के वैज्ञानिकों की जिस टीम ने कोरोना की दवा (टू-डीजी) बनाई है, उनमें से एक डॉ अनंत नारायण भट्ट गोरखपुर के रहने वाले हैं। डीआरडीओ के साइक्लोट्रॉन और रेडियो फार्मास्यूटिकल साइंसेज डिवीजन में कार्यरत डॉ अनिल मिश्रा हैं तो बलिया के पर उन्होंने भी गोरखपुर विश्वविद्यालय से परास्नातक की पढ़ाई की है। डीआरडीओ के मार्गदर्शक रक्षा मंत्रालय के सर्वेसर्वा यानी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का भी सीएम सिटी से यादगार नाता है। उन्होंने भी परास्नातक की शिक्षा गोरखपुर विश्वविद्यालय से पूरी की है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) और नीति आयोग ने कोविड प्रबंधन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जमकर तारीफ की तो उनकी कर्मभूमि होने से गोरखपुर का नाम अपने आप ही इस तारीफ से जुड़ गया। देश दुनिया में कोविड मैनजमेंट के लिए यूपी के योगी ट्रिपल टी (ट्रेस, टेस्ट एंड ट्रीट) मॉडल की चर्चा छाई हुई है। इस बीच रक्षा मंत्रालय के संगठन डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) ने कोविड के इलाज की पहली शुद्ध स्वदेशी दवा लांच कर दी तो गोरखपुर का नाम और भी सुर्खियों में आ गया है।

करीब सालभर के रिसर्च के बाद तैयार दवा को बनाने वाली टीम के अहम सदस्य वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अनंत नारायण भट्ट गोरखपुर जनपद के गगहा इलाके के कौवाडील गांव के हैं। उनकी इंटर की पढ़ाई गगहा के किसान इंटर कॉलेज से हुई। विज्ञान स्नातक की पढ़ाई गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध बस्ती के किसान पीजी कॉलेज से पूरी की। बाद में वह सीडीआरआई लखनऊ चले गए। डॉ भट्ट को इस बात पर गर्व है कि उनका ताल्लुक मुख्यमंत्री के गृह जिले से है। कोरोना की दवा बनाने में एक अन्य वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अनिल मिश्रा रहने वाले तो बलिया के हैं लेकिन उनके नाम के साथ गोरखपुर का रिश्ता अटूट हो चुका है। डॉ अनिल मिश्र ने एमएससी रसायन की डिग्री गोरखपुर विश्वविद्यालय से हासिल की है। कोरोना की दवा को लांच करने वाले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का भी गोरखपुर से यादगार नाता है। राजनाथ सिंह गोरखपुर विश्वविद्यालय के पुराने छात्र हैं। विश्वविद्यालय के बुद्ध छात्रावास में रहकर उन्होंने एमएससी भौतिक शास्त्र की पढ़ाई पूरी की थी।

डीआरडीओ ने ईजाद की है 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2 डीजी)

ज्ञात हो कि कोरोना के खिलाफ जंग में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की नई दवा उम्मीद की किरण लेकर आई है। इस दवा का नाम 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज (2 डीजी) है। डीआरडीओ द्वारा विकसित कोरोना की इस दवा 2-डीजी (2-डीऑक्सी-डी- ग्लूकोज) को देश में संजीवनी भी कहा जा रहा है। यह दवा कोरोना के मरीजों के लिए काफी असरदार मानी जा रही है। माना जा रहा है ये दवा कोरोना मरीजों को तेजी से ठीक होने में मदद करेगी और उनकी ऑक्सीजन पर निर्भरता को कम करेगी। इस दवा के इस्तेमाल से कोरोना मरीजों की ऑक्सजीन पर निर्भरता काफी कम हो जाती है। देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच यह दवा मरीजों के लिए उम्मीदें काफी बढ़ाने वाली है।

डीआडीओ के वैज्ञानिकों ने यह दवा डाक्टर रेड्डी लैब्स के साथ मिलकर बनाई है। इस दवा से देश में बहुमूल्य जीवन बचाए जाने की उम्मीद है। इससे कोरोना मरीजों के अस्पताल में बिताए जाने वाले दिनों की संख्या कम हो जाने की उम्मीद है। अब तक सामने आए शोध के अनुसार, यह दवा रोगियों को तेजी से ठीक करने में मदद करती है।

दया शंकर चौधरी

About Aditya Jaiswal

Check Also

अविवि ने रामनवमी के दिन तुलसी उद्यान में निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर लगाया

• 200 से अधिक श्रद्धालुओं का निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण एवं दवा वितरित की गई अयोध्या। ...