पेट्रोलियम मंत्रालय के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (पीपीएसी) के मुताबिक सरकारी कंपनियों ओएनजीसी और ऑयल इंडिया लिमिटेड के प्राकृतिक गैस की कीमत 3.69 डॉलर से घटाकर 3.23 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमबीटीयू) कर दी गई है। इन दोनों कंपनियों का भारत के गैस उत्पादन में बड़ा योगदान है।
सरकार ने सोमवार को घरेलू प्राकृतिक गैस की कीमत 12 प्रतिशत घटा दी। इस ईंधन की कीमत ढाई साल में पहली बार घटाई गई है। नई कीमत अगले 6 माह के लिए 1 अक्टूबर से लागू होगी। सरकार ने कठिन क्षेत्रों से उत्पादित गैस की कीमत भी 9.32 डॉलर से घटाकर 8.43 डॉलर प्रति यूनिट कर दी है। इससे पहले प्राकृतिक गैस की कीमतों में 1 अप्रैल 2017 को कटौती की गई थी।
हालांकि रिलायंस इंडस्ट्रीज के केजी-डी6 ब्लॉक के मुश्किल फील्ड्स से उत्पादित गैस की कीमतें लगभग उसी स्तर पर रहेंगी, जो यूपीए सरकार के जमाने में तय की गई थी।
उर्वरक,बिजली क्षेत्र को फायदा
प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल उर्वरक और बिजली उत्पादन में किया जाता है। इसके अलावा इसे सीएनजी में कंवर्ट करके वाहन ईंधन के तौर पर और कुकिंग गैस में कंवर्ट करके घरों में भी इस्तेमाल किया जाता है।
मोदी सरकार ने बदलाव फॉर्मूला
केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार ने 2014 में सत्ता में आने के बाद पूर्ववर्ती यूपीए सरकार का ‘गैस प्राइसिंग फॉर्मूला’ खत्म कर दिया था। जब कांग्रेस केंद्र की सत्ता में थी, उस दौरान घरेलू प्राकृतिक गैस की कीमत भारत को एलएनजी एक्सपोर्ट करने वालों को मिली नेटबैक कीमत और वैश्विक गैस उत्पादकों द्वारा तय कीमत के औसत के आधार पर तय की जाती थी।
1 अप्रैल 2014 को इस फॉर्मूले से निकली प्राकृतिक गैस की कीमत 8.4 डॉलर प्रति यूनिट थी, जिसका उस वक्त प्रचलित स्तर 4.2 डॉलर था। सी.रंगराजन की अगुवाई वाली एक उच्च अधिकार प्राप्त समिति ने 2014 में इस कीमत की सिफारिश की थी। मोदी सरकार ने इस फॉर्मूले को गैस निर्यात करने वाले देशों, मसलन अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और रूस में औसत कीमतों से बदल दिया। इससे कीमत घटकर 5.05 डॉलर पर आ गई।