प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रत्येक कार्य में कमियां निकालने वाले सदैव सक्रिय रहते है। ऐसे लोग अक्सर अपनी इस धुन में राष्ट्र और समाज की उपेक्षा में भी संकोच नहीं करते। उधर मोदी ने जनहित में जनता कर्फ्यू का सन्देश दिया, इधर कुछ लोगों की दिहाड़ी वालों के प्रति हमदर्दी जाग उठी। उनकी प्रतिक्रिया में दिहाड़ी वालों के जीवन की चिंता समाहित नहीं थी। उन्होने यह नहीं सोचा कि इस वर्ग में कोरोना पहुंचा तो स्थिति भयावह हो सकती है। जबकि सरकार सभी तथ्यों पर पहले से ही विचार कर रही थी। लेकिन नकारात्मक विरोध करने वालों की नजर केवल सियासत पर थी।
इनके सियासी पैतरों से पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वित्तमंत्री के अध्यक्षता में समिति बना चुके थे। इसकी रिपोर्ट भी जनता कर्फ्यू के एक दिन पहले आ गई। योगी ने तत्काल समिति की संस्तुतियों को मंजूरी प्रदान कर दी। इस समिति ने कोरोना वायरस के कारण बन्द हो रही व्यावसायिक व आर्थिक गतिविधियों के परिप्रेक्ष्य में दैनिक रूप से कार्य करके अपना व अपने परिवार का जीवन यापन करने वाले व्यक्तियों के सहायतार्थ अनेक निर्णय लिए हैं। श्रमिकों को लेबर सेस फण्ड से प्रत्येक श्रमिक को एक हजार रुपए प्रति माह डीबीटी के माध्यम से उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है।
मुख्यमंत्री ने शहर में घुमन्तु प्रकृति जैसे ठेला, खोमचा,।साप्ताहिक बाजार आदि का कार्य करने वाले लगभग पन्द्रह लाख श्रमिकों का बैंक खाता का विवरण सहित डेटाबेस नगर विकास विभाग द्वारा अगले पन्द्रह दिन में तैयार के निर्देश जरी किये। ऐसे सभी श्रमिकों के खाते में प्रतिमाह एक हजार रुपए की धनराशि हस्तांतरित की जाएगी। शहरी क्षेत्र के ऐसे दिहाड़ी मजदूर जिनके पास राशन कार्ड उपलब्ध नहीं हैं उनके राशन कार्ड जल्दी बनाने का कार्य होगा।
इन जरूरतमंदों को एक माह का निशुल्क राशन अप्रैल माह में उपलब्ध कराया जाएगा। विभिन्न पेंशन योजनाओं वृद्धावस्था, निराश्रित महिला तथा दिव्यांगजन पेंशन के सभी लाभार्थियों को दो माह की अग्रिम पेंशन अप्रैल में दी जाएगी। इनके अलावा ऐसे असहाय व्यक्ति भी बच सकते हैं, जिनके पास अपने व अपने परिवार के भरण पोषण की व्यवस्था नहीं है। ऐसे लोगों को भी एक हजार रुपए प्रतिमाह की सहायता उपलब्ध करायी जाएगी। प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों तथा मेडिकल काॅलेजों में आइसोलेटेड वाॅर्ड की व्यवस्था की गई है। इससे प्रभावित लोगों को नि शुल्क चिकित्सा की भी व्यवस्था की गई है।
रिपोर्ट-डॉ. दिलीप अग्निहोत्री