लखनऊ। राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल शिक्षिका रहीं हैं। आज कुलाधिपति के रूप में उनके दीक्षान्त संबोधन का उच्च शैक्षणिक महत्त्व होता है। वह शिक्षिका और अभिभावक के रूप में विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करती हैं। शिक्षा के साथ साथ उनको नैतिक और सामाजिक सरोकारों से जुड़ने की प्रेरणा देती हैं। इसमें श्रेष्ठ नागरिक के कर्तव्य बोध का समावेश होता है। राष्ट्र को सर्वोच्च मानने की भावना होती है। माता पिता और अन्य बड़े बुजुर्गों की सेवा सम्मान की प्रेरणा होती है। आनन्दी बेन ने विद्यार्थियों से कहा कि भविष्य में सफलता प्राप्त ज्ञान के समुचित उपयोग और जीवन लक्ष्यों को लगन से पूरा करने से प्राप्त होगी।
उन्होंने विद्यार्थियों को अपने माता-पिता से जुड़ाव और समर्पण रखने के लिए विशेष रूप से प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि माँ-बाप बच्चों को पालने और शिक्षा-दीक्षा कराने में अपनी उम्र गुजार देते हैं और बच्चे योग्य होकर देश-विदेश में अन्यत्र सेवाएं देने चले जाते हैं। जबकि माता-पिता उनकी उपलब्धियों पर गर्व करते हुए अकेले रह जाते हेैं और जीवन के अवसान को प्राप्त हो जाते हैं। बच्चों को अपने माता-पिता की इस अवस्था में ध्यान रखना चाहिए। दीक्षांत समारोह को विद्यार्थियों के जीवन की उपलब्धि का विशेष दिन बताते हुए कहा कि शिक्षा सिर्फ सर्टिफिकेट प्राप्त करने की प्रक्रिया मात्र नहीं है। ये उन चारित्रिक गुणों का उच्चतम विकास भी करती है, जिनका प्रारम्भ घर में माता-पिता से प्राप्त प्रारम्भिक शिक्षा से होता है। ये वो संस्कार देती है, जिसका हम अपने व्यवहारिक जीवन में उपयोग करते हैं।
आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में आज डॉ शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ का नवम् दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ। दीक्षांत कायक्रम का उद्घाटन राज्यपाल जी द्वारा ‘‘जल भरो‘‘ कार्यक्रम से किया गया। राज्यपाल जी ने मटकी में जलधारा डालकर जल संरक्षण का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों द्वारा जितना जल वर्ष भर में उपयोग में लाया जाता है, वो उतने जल संरक्षण हेतु प्रभावी प्रयास करें। उन्होंने नैक मूल्यांकन की उपयोगिता, रोजगार परक शिक्षा पर भी चर्चा की।
दीक्षांत संबोधन में आनन्दी बेन ने कहा कि उप्र सरकार के दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा दिव्यांगजनों को उच्च शिक्षा के अवसर प्रदान करने के लिए इस विश्वविद्यालय को स्थापित किया गया। यहाँ से विद्यार्थी ज्ञान-विज्ञान और विविध विषयों में उच्च शिक्षा लेकर आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह विशेष विश्वविद्यालय दिव्यांगों को दुनिया का सामना करने और जीवन का अधिकतम लाभ उठाने में सक्षम बना रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों का जीवन गढ़ने में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि एक शिक्षक का दायित्व है कि वह मनवीय क्षमता से युक्त, वैश्विक दृष्टि सम्पन्न विद्यार्थियों का सृजन करे।
रिपोर्ट-डॉ दिलीप अग्निहोत्री